Saturday, August 29, 2009

२ क्षणिकाएँ !

दिल जलाये रक्खा था....


दिल जलाये रक्खा था,
तेरी रौशने रातों की खातिर,
शम्मं हर रात जली,
सिर्फ़ तेरे खातिर...
सैकड़ों गुज़रे गलीसे,
बंद पाये दरवाज़े,
या झरोखे,दिले बज़्म के,
सिवा उनके लिए,
वो जो मशहूर हुए,
वादा फरोशी के लिए...

२) चले आएँगे तेरे पास!

चले आएँगे तेरे पास,
जब तू ठहर जाएगा...
अपनी रफ़्तार कम है,
ऐसे तो तू बिछड़ जाएगा...
पास आनेके सौ बहाने करने वाले ,
दूर जानेकी एक वजह तो बता देता...

8 comments:

Vipin Behari Goyal said...

दूर जानेकी एक वजह तो बता देता..

यही तो अफ़सोस है ...बहुत अच्छा लिखा आपने

Yogesh Verma Swapn said...

umda hai.

Dr. Amarjeet Kaunke said...

bahut hi khubsurat ahsaas hai....mubark

M VERMA said...

पास आनेके सौ बहाने करवाले,
दूर जानेकी एक वजह तो बता देता...
बहुत खूब --- ज़ायज सवाल

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

दिल के सुन्दर अहसास !

स्वप्न मञ्जूषा said...

dil ki gahraaiyon se nikli hui baat..

Unknown said...

वाह !
बहुत ख़ूब !

Prem said...

थोड़े से शब्द ,बड़ी से बात ,सुंदर अति सुंदर