अनुचरी,अर्धागिंनी,भार्या
कोई भी नाम मैने तो नहीं सुझाया,
कोई भी नाम मैने तो नहीं सुझाया,
न ही,स्वयं के लिये चुने मैने सम्बोधन
जैसे कि प्राणनाथ,स्वामी आदि,
फ़िर कब हम दोनो बन्ध गये
इन शब्दों की ज़न्जीरों से.
क्या इन के परे भी है कोई
ऐसा सीधा और सरल सा,
रिश्ता जो कोमल तो हो,
पर मज़बूत इतना,
जैसे पेड से लिपटी बेल,
जैसे तिल के भीतर तेल
जैसे पुल से गुज़रती रेल,
’आइस-पाइस’ का खेल,
चलो क्यो बांधें इसे,
उपमाओं में
मैं और तुम क्या काफ़ी नहीं,
इस जीवन को परिभाषित करने के लिये?
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7 comments:
abhinav kavita
sampoorna kavita
kavita se jhakjhorne waali kavita
चलो क्यो बांधें इसे,
उपमाओं में
मैं और तुम क्या काफ़ी नहीं,
इस जीवन को परिभाषित करने के लिये?
___________badhaai yogya kavita !
शमा जी,
मैं यहाँ आपकी बिटिया वाली कविता पर कहने आया था, लेकिन अपनी आदत से मज़बूर मैंने पहले कविता अनामिका को पढ़ा।
चलो क्यो बांधें इसे,
उपमाओं में
मैं और तुम क्या काफ़ी नहीं,
इस जीवन को परिभाषित करने के लिये?
मेरे विचारों में यह एक संपूर्ण कविता है अपने तथ्य से लगाकर कथ्य तक सभी कुछ है और भाव तो ऐसे कि डूब जाये गहरे तक। आपके व्यापक रचनाधर्म बड़ा व्यापक है और कैनवास पर विविध रंग, हेट्स ऑफ टू यू।
अब आता हूँ कविता पर :-
मेरी लाडली.....
तुझसे जुदा होके,
जुदा हूँ,मै ख़ुद से ,
यादमे तेरी, जबभी,
होती हैं नम, पलकें मेरी,
भीगता है सिरहाना,
खुश रहे तू सदा,
साथ आहके एक,
निकलती है ये दुआ!
इस कविता के साथ आपका यह कहना की पूरी नही है, मुझे थोड़ा खला इसलिये कि एक मुक्कमिल कविता होते हुये भी कुछ और विस्तार की जरूरत नही रह जाती है इसे। ममता, स्नेह और दर्द से भरी प्रस्तुति के लिये मेरी बधाईयाँ स्वीकारें।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
bahut sundar bhav.
ktheLeo,
what is this name...
क्या इन के परे भी है कोई
ऐसा सीधा और सरल सा,
रिश्ता जो कोमल तो हो,
पर मज़बूत इतना,
जायज और सरल आस...
ज़माना बदल जाये जहाँ यह कामना पूरी हो सके...
Ye leo ji kee rachna hai..mai subah se koshish kar rahee thee,comment kar ke batana chaah rahee thee,lekin'page load error' ke kaaran tippanee de nahee payee..!
चलो क्यो बांधें इसे,
उपमाओं में
मैं और तुम क्या काफ़ी नहीं,
इस जीवन को परिभाषित करने के लिये?
ye panktiyan hi is kavita ki jaan hain, bahut sundar. badhai.. --vallabh
http://puranidayari.blogspot.com
leo ji ,
mere paas shabd nahi hia aapki is sundar rachna ke taareef ke liye , kya shaand likha hai ji . bus naman aapko
regards
vijay
please read my new poem " झील" on www.poemsofvijay.blogspot.com
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