मोहब्बतों की कीमतें चुकाते,
मैने देखे है,
तमाम जिस्म और मन,
अब नही जाता मैं कभी
अरमानो की कब्रगाह की तरफ़।
दर्द बह सकता नहीं,
दरिया की तरह,
जाके जम जाता है,
लहू की मांनिद,
थोडी देर में!
अश्क से गर कोई
बना पाता नमक,
ज़िन्दगी खुशहाल,
कब की हो गई होती।
रिश्तो के खिलौने,
सिर्फ़ बहला सकते है,
दुखी मन को,
ज़िन्दगी गुजारने को,
पैसे चाहिये!!!!!!
For original thought please also visit www.sachmein.blogspot.com "सच में"
Friday, December 31, 2010
Tuesday, December 14, 2010
लडकियाँ और आदमी!"कविता" पर भी!
लडकियाँ कितनी ,
सहजता से,
बेटी से नानी बन जातीं है!
लडकियाँ आखिर,
लडकियाँ होती हैं!
शिव में ’इ’ होती है,
लडकियाँ,
वो न होतीं तो,
’शिव’ शव होते!
’जीवन’ में ’ई’,
होतीं हैं लडकियाँ
वो न होतीं तो,
वन होता जीव-’न’ न होता!
या ’जीव’ होता जीव-न, न होता!
और ’आदमी’ में भी,
’ई’ होतीं हैं,यही लडकियाँ!
पर आदमी! आदमी ही होता है!
और आदमी लडता रह जाता है,
अपने इंसान और हैवानियत के,
मसलों से!
आखिर तक!
फ़िर भी कहता है,
आदमी!
क्यों होती है?
ये ’लडकियाँ’!
हालाकि,
न हों उसके जीवन में,
तो रोता है!
ये आदमी!
है न कितना अजीब ये,
आदमी!
Saturday, December 4, 2010
गुमशुदा की तलाश! "कविता" पर भी
जिस ने सुख दुख देखा हो।
माटी मे जो खेला हो,
बुरा भला भी झेला हो।
सिर्फ़ गुलाब न हो,छाँटें
झोली में हो कुछ काँटे।
अनुभव की वो बात करे,
कोरा ज्ञान नहीं बाँटे।
मेले बीच अकेला हो,
ज्ञानी होकर चेला हो।
हर पल जिसने जीया हो,
अमिय,हलाहल पीया हो।
पौधा एक लगाया हो,
अतिथि देख हर्षाया हो।
डाली कोई न काटी हो,
मुस्काने हीं बाँटी हो।
सच से जो न मुकरा हो,
भरी तिजोरी फ़ुकरा हो।
मेहनत से ही कमाता हो,
खुद पे न इतराता हो।
अधिक नहीं वो खाता हो
दुर्बल को न सताता हो ।
थोडी दारु पीता हो,
पर इसी लिये न जीता हो।
अपने मान पे मरता हो,
इज़्ज़त सबकी करता हो।
ईश्वर का अनुरागी हो,
सब धर्मों से बागी हो।
हर स्त्री का मान करें
तुलसी उवाच मन में न धरे।
(डोल,गंवार........)
भाई को पहचाने जो,
दे न उसको ताने जो।
पैसे पे न मरता हो,
बातें सच्ची करता हो।
भला बुरा पहचाने जो,
मन ही की न माने जो।
कभी नही शर्माता हो,
लालच से घबराता हो।
ऐसा एक मनुज ढूँडो,
अग्रज या अनुज ढूँडो।
खुद पर ज़रा नज़र डालो,
आस पास देखो भालो।
ऐसा गर इंसान मिले,
मानो तुम भगवान मिलें!
उसको दोस्त बना लेना,
मीत समझ अपना लेना।
जीवन में सुख पाओगे,
कभी नहीं पछताओगे।
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