Wednesday, March 16, 2011

होली के रंग!





चंदन रंग गुलाल हमारे पास नही,
उसके चिकने गाल हमारे पास नहीं।


होली कैसे होगी इस फ़ागुन सोचो
साली,सरहज ससुराल हमारे पास नही


मंहगाई की गोरी कितनी सुन्दर है,
पर पैसो की टकसाल हमारे पास नही।


राजा पहुंच गये २ जी की मन्ज़िल को,
कैसी भोली जनता जिसे मलाल नही।

Friday, March 11, 2011

ज़हर का इम्तेहान.....

ज़हर का इम्तेहान.....

बुज़ुर्गोने कहा, ज़हरका,
इम्तेहान मत लीजे,
हम क्या करे गर,
अमृतके नामसे हमें
प्यालेमे ज़हर दीजे !
अब तो सुनतें हैं,
पानीभी बूँदभर चखिए,
गर जियें तो और पीजे !
हैरत ये है,मौत चाही,
ज़हर पीके, नही मिली,
ज़हर में मिलावट मिले
तो बतायें, क्या कीजे?
तो सुना, मरना हैही,
तो बूँदभर अमृत पीजे,
जीना चाहो , ज़हर पीजे!