सुना था मेरे बड़ों से, चिड़िया खेत चुग जाये, फ़ायदा नही रोनेसे! ये कहावत चली आयी गुज़रती हुई सदियों से, ना भाषाका भेद ना किसी देशकाही खेत बोए गए, पँछी चुगते गए, लोग रोते रहे इतिहास गवाह है सिलसिला थमा नही चलताही रहा चलताही रहा !
अलबेला जी का ये comment मैंने copy paste करके पोस्ट कर दिया है ...अलबेलाजी , आपकी शुक्र गुज़ार हूँ ...आपने बुरा तो नही माना ,इस comment को कविता blog पे post कर दिया इसलिए ...वरना क्षमा माँगती हूँ ...!आइन्दा ऐसी जुर्रत नही होगी...!
7 comments:
इतिहास गवाह है
सिलसिला थमा नही
चलताही रहा
चलताही रहा !
bahut hee badhiya rachna.itni komal sheersh phool kee pankhudiyan.
thamega...
aasha hai thamegaa ye silsila....
Albela Khatri
dhnyavaadi hoon aapka
bahut kuchh kah diya aapne sanket me..
bhool ho hi jaati hai maanav se ...............
अलबेला जी का ये comment मैंने copy paste करके पोस्ट कर दिया है ...अलबेलाजी , आपकी शुक्र गुज़ार हूँ ...आपने बुरा तो नही माना ,इस comment को कविता blog पे post कर दिया इसलिए ...वरना क्षमा माँगती हूँ ...!आइन्दा ऐसी जुर्रत नही होगी...!
shamaji,
is me bura manne waali baat hi kahan hai
are bhai thodaa sa dimaag kharaab hai mera lekin paagal poora toh nahin hoon........
aap mere blog par aaye aur itnee tavahjjo dee, ye toh suboot hai iskaa ki abhi sooraj dooba nahin hai
aabhaar !
बहुत कोमल सा मासूम स्पर्श
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1. चाँद, बादल और शाम
2. विज्ञान । HASH OUT SCIENCE
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