Wednesday, August 26, 2009

रुसवाईयाँ..!

अब रुसवाईयों से क्या डरें ?
जब तन्हाईयाँ सरे आम हो गयीं ?
खता तो नही की थी एकभी ,
पर सजाएँ सरे आम मिल गयीं ?
काम बनही गया,जो रुसवा कर गए,
ता-उम्र तन्हाई की सज़ा दे गए..!

5 comments:

Chandan Kumar Jha said...

सुन्दर भाव.

Prem said...

vah kya likhti hain

Vipin Behari Goyal said...

बहुत उम्दा है ,वैसे ये तन्हाई है बड़े काम की चीज

Anonymous said...

बहुत उम्दा .....

Vinay said...

वाह-वा!
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तख़लीक़-ए-नज़र