अभी, अभी, नेहलाये गए हैं,
सफ़ेद कपडेमे लपेटे गए हैं,
लगता है, मारे गए हैं,
हमें पत्थरोंसे मारनेवालें,
हमपे फूल चढा रहे हैं....
जीते जी हमपे हँसनेवाले,
सर रख क़दमोंपे हमारे,
जारोज़ार रोये जा रहे हैं........
इस "शमा"को बुझाके,
एक और शमा जला रहे हैं....
हमारी परछाईसे डरनेवाले,
क्यों हमें लिपट रहे हैं?
बेशक, हम लाशमे,
तबदील किए जा चुके हैं......
ये क्या तमाशा है?
ऐसा क्यों कर रहे हैं??
शमा
सफ़ेद कपडेमे लपेटे गए हैं,
लगता है, मारे गए हैं,
हमें पत्थरोंसे मारनेवालें,
हमपे फूल चढा रहे हैं....
जीते जी हमपे हँसनेवाले,
सर रख क़दमोंपे हमारे,
जारोज़ार रोये जा रहे हैं........
इस "शमा"को बुझाके,
एक और शमा जला रहे हैं....
हमारी परछाईसे डरनेवाले,
क्यों हमें लिपट रहे हैं?
बेशक, हम लाशमे,
तबदील किए जा चुके हैं......
ये क्या तमाशा है?
ऐसा क्यों कर रहे हैं??
शमा
शमा जी
आज आपके कविता वाले ब्लॉग पर आया
यहाँ भी आपको उतना ही दर्दमंद पाया
जो मौत देख पाते हैं
वही जिंदगी निबाहते हैं
यही है सच जीवन का
जो मर के देख पाते हैं
जिसने जी ली मौत जीते जी
वो फरिश्तों में बदल जाते हैं
यही है सच जीवन का
जो मर के देख पाते हैं
जिसने जी ली मौत जीते जी
वो फरिश्तों में बदल जाते हैं
बहुत बहुत बहुत ही सुंदर है आभार इसे हम सब के साथ सांझा करने के लिए शमां जी
जो मौत देख पाते हैं
वही जिंदगी निबाहते हैं
यही है सच जीवन का
जो मर के देख पाते हैं
जिसने जी ली मौत जीते जी
वो फरिश्तों में बदल जाते हैं
ek purna anubhavi vyakti hi likh sakta hai, uprokt panktian , mujhe behad umda lagin , gafil ji ko meri or se dheron badhaai pahunchayen.