Thursday, June 18, 2009

कीमत हँसी की.....

हर हँसीकी क़ीमत
अश्कोंसे चुकायी हमने
पता नही और कितना
कर्ज़ रहा है बाक़ी
आँसू हैं, कि, थमते नही!

जिन्हे खोके आँखें रोयीं,
तनहा हुए, खातिर जिनकी,
वो कहाँ है येभी
अब हमे ख़बर नही,
दुआ है निकलती
उनके लिए, फिरभी......

पलके मूँद के भी,
नींदे हैं उड़ जातीं,
वीरान बस्तीमे दिलकी
वो बसते हैं आजभी!
तके है राह आज भी...

सिर्फ़ दरवाज़े नही,
हर खिड़की, बंद कर ली,
ना है, दरार कहीँ,
दूसरा आये कोई,
गुंजाईश रखी नही !

ये है,कैसी हैरानी,
हमारी दूर से भी
ख़बर ख़ूब है रहती
हर हँसी पे हमारी,
रखी है पहरेदारी...

होटोंपे आये तो सही
सौगाते ग़म औ'मायूसी,
बसी है, हैं पासही ...!
चाहे हो हल्की-सी
झपटी जाए,वो हँसी...

5 comments:

Vinay said...

बहुत बढ़िया रचना है

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

बहुत खूब लिखा है

हर हँसीकी क़ीमत
अश्कोंसे चुकायी हमने
पता नही और कितना
कर्ज़ रहा है बाक़ी
आँसू हैं, कि, थमते नही

Sajal Ehsaas said...

bahut achha likha hai...bhaav behad sundar hai,usi tarah prastut kiya hai aapne

दिलने ऐसे बंद किये
दरवाज़े,कि ना वो है
निकल पाते,नाही,
दूसरा आये कोई
ये भी गुंजाईश नही ...in panktiyo me tanik ferbadal ki gunjaish hai "naa hee" ke saath "gunjaish nahee" sahi sound nahi kar raha...

नीरज गोस्वामी said...

शमाजी ये बात सच है की मुझे आप के इन ब्लोग्स की कोई जानकारी नहीं थी लेकिन अब यहाँ आ कर लगा की इसका नुक्सान मुझे ही अधिक हुआ...आप की कविताओं रचनाओं से रूबरू होने में देर जो हो गयी...अब जब ब्लॉग पर आया हूँ तो इत्मीनान से इसे पढूंगा क्यूँ की आप उन चंद लोगों में से हैं जो लिखते वक्त दिल का इस्तेमाल करते हैं...
आप की इस रचना में छुपा दर्द अन्दर तक मन को भिगो गया है...ये संवेदन शीलता ही आपकी सबसे बड़ी ताकात है...
नीरज

डॉ. मनोज मिश्र said...

दिल से लिखी गयी रचना .