Saturday, June 6, 2009

सुर और लय...

"घड़ी इम्तेहानकी...." इस रचना में, सुर और लय के मुताबिक, चंद बदलाव किए हैं...टिप्पणी से पता चलेगा,( जो पढ़ चुके हैं,) कि, क्या ये बेहतर है ?आखरी ध्रुपद इसमे और लिखा है...

1 comment:

ktheLeo (कुश शर्मा) said...
This comment has been removed by the author.