बहुत पहले एक गज़ल कही थी,
"मैं तुम्हारा नहीं हूँ ,ये बात तो मैं भी जानता हूँ.
मेरी तकलीफ ये है कि, ये बात तुम कहते क्यों हो." Link of the same is given below:
उसी ख्याल पे चंद अंदाज़ और देखें:
आंखें हमारी नम.
होठ पे मुस्कान तेरे,
दिल में हमारे गम.
दुश्मन नहीं हैं हम तुम्हारे,
मान लो सनम.
महवे आराइश रहो तुम,
हम करे मातम.
फूल लाना तुर्बत पे मेरी,
ज़िन्दगी है कम.
ज़र्रा हूं मै,तुम सितारा,
कैसे हो संगम.
4 comments:
अच्छी रचना है। शुक्रिया
Shukriya ! Is rachnako yahan post karneke liye...maine ye aapke blogpe padhee thee, aur bohot achhee lagi thi...aaj apne blogpe paya to bohot khushee hui !
snehsahit
shama
प्रवीण जी, शमा जी,
आप का तहे दिल से शुक्रिया रचना को पढने और तारीफ़ के लिये.
umda rachna............
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