रहनुमा तो साथ थे,पर वही गुमराह कर गए...बहुत बडा सच है ये दी...अक्सर ऐसा ही होता है.
sahi hai.
दिलचस्प विवरण.
यहाँ शहर कैसे ढूँढें?है तो बस वीरानगी है. --वाह! बहुत गहरी बात की है आपने.
वाहअत्यंत उत्तम लेख हैकाफी गहरे भाव छुपे है आपके लेख में .........देवेन्द्र खरे
बहुत अच्छा। प्रेरक। बधाई स्वीकारें।
रहनुमा गुमराह कर गये ...मार्मिक रचना ...!!
यहाँ शहर कैसे ढूँढें?है तो बस वीरानगी है. bahut hi gahri baat kah di........badhayi.
bahut hi badhiyaa
Vaah!Kamaal!
ना पश्चिम है न पूरब है,ना उत्तर है ना दक्षिण है,यहाँ शहर कैसे ढूँढें?है तो बस वीरानगी है ...बहुत ही अच्छा लिखा है ......... सच है की जब मन में अंधेरा छाता है तो किसी भी दिशा में कुछ नज़र नही आता ......
यहाँ शहर कैसे ढूँढें?है तो बस वीरानगी है. Aksar jindagi mein aise mod aa hi jate hain...Sundar rachnaBadhai
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12 comments:
रहनुमा तो साथ थे,
पर वही गुमराह कर गए...
बहुत बडा सच है ये दी...अक्सर ऐसा ही होता है.
sahi hai.
दिलचस्प विवरण.
यहाँ शहर कैसे ढूँढें?
है तो बस वीरानगी है.
--वाह! बहुत गहरी बात की है आपने.
वाह
अत्यंत उत्तम लेख है
काफी गहरे भाव छुपे है आपके लेख में
.........देवेन्द्र खरे
बहुत अच्छा। प्रेरक। बधाई स्वीकारें।
रहनुमा गुमराह कर गये ...मार्मिक रचना ...!!
यहाँ शहर कैसे ढूँढें?
है तो बस वीरानगी है.
bahut hi gahri baat kah di........badhayi.
bahut hi badhiyaa
Vaah!Kamaal!
ना पश्चिम है न पूरब है,
ना उत्तर है ना दक्षिण है,
यहाँ शहर कैसे ढूँढें?
है तो बस वीरानगी है ...
बहुत ही अच्छा लिखा है ......... सच है की जब मन में अंधेरा छाता है तो किसी भी दिशा में कुछ नज़र नही आता ......
यहाँ शहर कैसे ढूँढें?
है तो बस वीरानगी है.
Aksar jindagi mein aise mod aa hi jate hain...
Sundar rachna
Badhai
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