अरे पागल, क्यों पूछता है,
कि, तेरा वजूद क्या है?
कह दूँ,कि जो हाल है,
मेरा, वही तेराभी हश्र है !
के नही हूँ जिस्म मै,
के हूँ एक रूह मै ,
जो उड़ जाए है,
ये काया छोड़ जाए है..!
क्यों पूरबा देखे है?
ये सांझकी बेला है,
जो नज़र आए मुझे?
वो नज़रंदाज़ करे है !
देख,आईना देख ले,
कल जो था, क्या आज है?
रंग रूप बदलेंगे,
रातमे सूरज दिखेंगे?
किस छोरको थामे है?
किस डोरको पकडे है?
जो दिनकर डूबने जाए है,
वो कहीँ और पूरबा चूमे है!!
ना तेरा जिस्म नित्य है,
ना नित्य कोई यौवन है,
छलावों से खुदको छले है?
मृग जलके पीछे दौडे है?
बोए हैं चंद फूलोंके
साथ खार कई तूने,
फूल तो मसले जायेंगे,
खार सूखकेभी चुभेंगे!!
क़ुदरतके नियम निराले,
गर किया है तूने,
वृक्ष कोई धराशायी,
रेगिस्ताँ होंगे नसीब तेरे!!
आगे बढ्नेसे पहले,
देख बार इक,अतीतमे,
गुलिस्ताँ होंगे आगे तेरे,
काटेही कांटे पैरोंताले!!
मूँदके अपनी आँखें,
झाँक तेरे अंतरमे,
अमृत कुंड छलके है,
फिरभी तू प्यासा है !
लबों के जाम पैमाने तेरे,
आँखोंसे किसीकी पीता है,
बाहोंमे किसीको भरता है,
पैरोंमे पड़े है छाले तेरे..!
तेरे पीछे जो खड़े हैं,
वो भूले हुए वादे तेरे,
लगा छोड़ आया उन्हें,
वो हरदम तेरे साथ चले !
बाकी सब छलावें हैं,
बाकी सब भुलावे हैं !
जा, आज़मा ले उन्हें,
जा, तसल्ली कर ले !
कहीँ ऐसा ना हो के,
ना ये मिलें, ना वो रहें!
मंज़िले जानिब अकेला चले,
रातोंके साये घेरे रहें!
जिनको ठुकराया तूने,
कल तुझे ये छलावे छोडें,
जो तू रहा है देते,
वही तो पलटके पाये है...
दुश्मन नही, खैरख्वाह है तेरे,
देते हैं दुआएँ, फिरभी डरते हैं,
ना पड़े मनहूस साये
बेअसर ना हों दुआएँ !
समाप्त।
"तहे दिलसे दुआ करती है इक "शमा"
हर वक़्त रौशन रहे तेरा जहाँ!!
वो बुझे तो बुझे,ऐसे हों नसीब तेरे,
के काफिले रौशनी हो जाए साथ तेरे..."
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2 comments:
मूँदके अपनी आँखें,
झाँक तेरे अंतरमे,
अमृत कुंड छलके है,
फिरभी तू प्यासा है !
wah kul milakar ek bahut sunder kavita. badhai.
wah kya baat kahi hai
जिनको ठुकराया तूने,
कल तुझे ये छलावे छोडें,
जो तू रहा है देते,
वही तो पलटके पाये है...
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