सुर्ख जोडेमे सिमटी थी,
चितवन झुकी,झुकी,
वो सजीली लजीली,
सजाके बदरी कजरारी,
पलकोंके पीछे छुपी थी...
दुल्हन नवेली थी....
माथेपे झूमर सजाये,
कंगना भरी कलाई,
हथेलियोंपे हिना थी,
जूडेमे गजरे महके हुए,
झुकी,झकी-सी डाली थी...
गम बिछड़ने का बाबुलसे,
लगन पिया मिलनकी,
इन्तेज़ारकी घड़ी थी,
डोली कबकी सजी थी,
हाय री कैसी किस्मत थी...
पिया आए ना बारातही,
उनके घरसे ख़बर आयी,
सुना दुल्हनमे कमी थी,
वो उनके काबिल नही थी,
तोड़ दें, जंजीरें, अपनी,
उनमे हिम्मत नही थी....
सुर्ख जोड़ा उतार आयी,
डोली हटाई गयी,
दिल थामे वो गिर पडी,
अर्थी बिछाई गयी,
वो जीते जी मर गयी....
सफ़ेद कफ़न ओढे,
बाबुलकी बेटी चली,
वो ऐसे बिदा हुई,
हर आँख रो गयी,
हाय री ये कैसी जुदाई?
जिस माटीकी बनी थी,
वो उसीमे चली गयी,
बदनके लिए संदली,
चंदनी चिता सजायी गयी,
फिजाएँ महक गयीं...
जब वो जलाई गयी...
चितवन झुकी,झुकी,
वो सजीली लजीली,
सजाके बदरी कजरारी,
पलकोंके पीछे छुपी थी...
दुल्हन नवेली थी....
माथेपे झूमर सजाये,
कंगना भरी कलाई,
हथेलियोंपे हिना थी,
जूडेमे गजरे महके हुए,
झुकी,झकी-सी डाली थी...
गम बिछड़ने का बाबुलसे,
लगन पिया मिलनकी,
इन्तेज़ारकी घड़ी थी,
डोली कबकी सजी थी,
हाय री कैसी किस्मत थी...
पिया आए ना बारातही,
उनके घरसे ख़बर आयी,
सुना दुल्हनमे कमी थी,
वो उनके काबिल नही थी,
तोड़ दें, जंजीरें, अपनी,
उनमे हिम्मत नही थी....
सुर्ख जोड़ा उतार आयी,
डोली हटाई गयी,
दिल थामे वो गिर पडी,
अर्थी बिछाई गयी,
वो जीते जी मर गयी....
सफ़ेद कफ़न ओढे,
बाबुलकी बेटी चली,
वो ऐसे बिदा हुई,
हर आँख रो गयी,
हाय री ये कैसी जुदाई?
जिस माटीकी बनी थी,
वो उसीमे चली गयी,
बदनके लिए संदली,
चंदनी चिता सजायी गयी,
फिजाएँ महक गयीं...
जब वो जलाई गयी...
1 comment:
marmik rachna.shamaji,dil ko chhoti hai.
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