Friday, May 8, 2009

कहते हैं कि...

कहते हैं कि, वो हमें,
ताउम्र प्यार करेंगे,
हमभी जिद्पे उतर आएँ हैं,
देखेते हैं कैसे याद रखेंगे ?
कहते हैं तो कहते रहें...

उम्र की क्या बात करें हैं,
पलोंकी खैर मनाएँ,
हम ऐसी चीज़ हैं,
पताभी न होगा उन्हें,
वोभी यही कहेँगे...!

पलमे सिवा हिकारत के,
वो दिलमे अपने
कुछभी ना पायेंगे!
क्यों किसीको याद आएँ?
हमभी ज़िदपे अमादा हैं...

क्यों बेवजह उन्हें सताएँ?
जब की तमन्नाएँ बहारें,
उनके वास्ते, क्यों खिजाएँ,
बनके उनके सामने आएँ?
चाहेंगे,वो ललकारें बहारें...

हम बन पत्ते पतझड़ के,
उड़ जायेंगे संग हवाके,
या बिछ जायेंगे, उन्हींके,
पैरोंतले, मसलके जिसे
वो मीलों निकल जायेंगे...

वादा रहा हमारा हमीसे,
वो इसतरह भूलेंगे,
हमें, कि जैसे,फूलोंसे,
उडी हो गंध,सूखे हुए...
वो राहोंसे गुज़र जायेंगे!

लिए थे इम्तेहाँ ज़हेरके,
ज़िन्दगीमे गलतीसे,
आज जानबूझके,
वही गलती दोहरा लेंगे,
वो समझभी ना पायेंगे!

1 comment:

'sammu' said...

vo pyaar kartaa hai kaash jano
bade bhanwar hain tere dilon me
kabhee kishee ka jo haal poocho
nibhaao kuch to mohabbaton ko ....