ए "शमा "! तू है कहाँ?
ढूँदती हूँ दरबदर,
एक मैही नही,
तलाशमे है सारा जहाँ,
ज़रा सामने तो आ!
क्यों बिछड़ गयी?
क्या खता हुई,
के तू है खफा सी?
के तू है छुपी हुई?
मेरी "शमा" आ तू सामने आ...
सुन शमा, मेरी प्यारी शमा,
मै हूँ यहाँ, मै हूँ वहाँ,
तूही तो वजूद मेरा,
तू नही तो मै कहाँ?
इतने उजाले हो जहाँ?
वहाँ, कैसे हो बसर मेरा?
सुन मेरी, प्यारी शमा,
आ, तू मेरे आगोशमे आ!,
गौर कर, झाँक अन्दर ज़रा,
हूँ तेरीही आँखों में,
हूँ तेरेही पासमे,
पहचान मुझे अपने सायोंमे,
रहूँगी सामने तेरे,
गर मिले परछाई पीछे तेरे,
ज़मीनपे देख नहीं आसमाँ में ,
मेरी शमा,ओ प्यारी शमा,
नही तुझसे जुदा,
है ये सिर्फ़ भरम तेरा!!!
उफ़! ए" शमा", क्यों बुलाये है,
मुझे अंधेरोंमे?
तू निकलके आ बाहर ज़रा,
आ, तूही आ बाहर ज़रा,
तू चली आ जहाँ है उजाला,
तू चली आ, जहाँ है सवेरा...
क्यों बनी पहेली,
तू जो थी मेरी सहेली?
क्यों राज़ बन गयी ?
जो थी राजदां मेरी,
साथ चली थी,
सालों फासले तय किए,
कहाँ हुई ग़लती?
आ मिटा दें गिले शिकवे,
बस तू लगा ले सीनेसे मुझे,
बंद कर लूँ पलके,
आ तू आ, बेखबर आ...
ले तू मुझे गयी,साथ होली,
अंधेरोंमे जगमगाती हुई...
बन फिरसे , रहनुमा मेरी,
आ पास आ "शमा" पास आ,
के हूँ सहमी हुई,
बिन तेरे, कालिखों से डरी हुई..
आ चली आ, मेरे पास आ,
मेरी "शमा", तू कहीँ ना जा...
सुन मेरी प्यारी शमा,
आखरी ये बात मेरी,
मूँद पलके,
लगा ले गलेसे,
तरस गयी हूँ,
एक बन जाएँ
मै बसूँ तुझमे
तू मुझे खुदमे समा ले..
अबके जो मिलेंगे,
फिर कभी ना जुदा होंगे ,
सुन प्यारी शमा,
ये मेरा वादा रहा,
तेरे हर अंधेरे में साथ हूँ तेरे,
पुकार लेना कहके,
अए शमा, चली आ, मेरी शमा...
देख, तू मुझे मिल गयी,
अंधेरों में टिमटिमाते हुए,
मेरी "शमा",
मेरी "शमा!
हाँ मै तेरे साथ ही थी,
जुदाई तो भरम थी....
अब ना जाना तेज़ उजालों में,
जो तुझे भरमा दें,
मेरा वजूद गुमा दें...!
पकडें, थामे हाथ,तेरे मेरे,
शमा, तू मेरी प्यारी शमा..
हाँ !ना साथ छूटेगा,
वादा रहा,मेरी "शमा"...
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3 comments:
KAH RAHEE HAI SHAMA SE KOYEE SHAMA
RAAT BHAR JAL KE TUNE KYA PAYA.
DE GAYEE BAS JARA ANDHRRON KO
THODEE DOOREE TALAK KOYEE SAYA .
shama ne shama se kaha ri shama
hai jab tak andhere men ye aasman
tab tak hai satta teri gaur kar
bhuna le andhera , tera hai saman.
तेरी याद की चादर बिछा कर बैठ जाते हें,
शाम होते ही दिल को जला कर बैठ जाते हें,
तुम जब भी नहीं आते हो अपने वादों पर,
हम आँख में आंसू सजा कर बैठ जाते हें....
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