Wednesday, November 11, 2009

तुम मानसरोवर हो....




सुना है कभी
समुद्र नदी से मिलने गया
मोती की खोज
नदी में होने लगी?
मेरे सहयात्री,
नदी की पूर्णता तो समुद्र से है...
.ईश्वर ने तुम्हें मानसरोवर बनाया है
निःसंदेह,
तुम्हारे अन्दर मोती है
तुम्हे ज्ञात तो है,
फिर भी अनजान हो...
तो ईश्वर प्रदत्त सीप से जानो
जहाँ तुम्हारी कीमत है,पहचान है,
जहाँ लोगों की आँखें
विस्फारित हो जाती हैं!
मेरी मानो,
अपनी गहराई को
अपने मानवीकरण पर
सतही मत बनाओ
मोती पाने के लिए ज़िन्दगी दाव पर लगानी होती है
इसे समझो,
फिर सच तुम्हारे निकट होगा...

18 comments:

'sammu' said...

बहुत ही सुन्दर भाव .बिन लगाये दांव कुछ हसिल नहीं होता .

दीपक 'मशाल' said...

Kavita me prayukt ki gayeen upmaayen aur uska sandesh ise ek vishisht kavita banata hai...
Jai Hind...

मनोज कुमार said...

इसमें आध्यात्मिक रहस्य दिखाई पड़ता है। जिन्दगी को एक नए नज़रिए से देखने की ताक़त देता है।

अविनाश वाचस्पति said...

सच चाहे निकट हो दूर

सदा संकट में रहता है

और संकट सदा कटता है।

संत शर्मा said...

मेरी मानो,
अपनी गहराई को
अपने मानवीकरण पर
सतही मत बनाओ
मोती पाने के लिए ज़िन्दगी दाव पर लगानी होती है
इसे समझो,
फिर सच तुम्हारे निकट होगा...

शत प्रतिशत सच्ची बात, सुन्दर कविता |

खोरेन्द्र said...

अपनी गहराई कोअपने मानवीकरण परसतही मत बनाओमोती पाने के लिए ज़िन्दगी दाव पर लगानी होती है इसे समझो,फिर सच तुम्हारे निकट होगा...

sahi kathan
uttam kavita

shama said...

Kavita Rashmee jee kee rachna hai...unka tahe dilse shukriya ki, 'kavitaa' blog pe chaar chand lagaye...

ρяєєтii said...

पढ़ कर लगा की यह तो जाने पहचाने "शब्द" है . इतनी गहरी बात इतने सहजता से तुम ही कह सकती हो माँ ...ILu..!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

मेरी मानो,
अपनी गहराई को
अपने मानवीकरण पर
सतही मत बनाओ

bahut sundar abhivyakti...mann ki gahrayi men pahunch kar hi swayam ki pahchaan ho sakti hai....shabd sanyojan aur roopak behatreen hain....sandeshatmak rachna ke liye badhai

ओम आर्य said...

एक बहुत ही सुन्दर रचना!

दिगम्बर नासवा said...

BAHOOT HI SUNDAR RACHNA ... MAN KE MOTI KO TALAASHNA HI JEEVAN HAI ...

mark rai said...

नदी की पूर्णता तो समुद्र से है...
.ईश्वर ने तुम्हें मानसरोवर बनाया है.....

बहुत ही सुन्दर भाव ....

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

waah kyaa sunder baat sahajta se kah de aap ne!

gyaneshwaari singh said...

sunder bhav liye kavita

bahut achi lagi

R. Venukumar said...

मेरे सहयात्री,नदी की पूर्णता तो समुद्र से है....ईश्वर ने तुम्हें मानसरोवर बनाया हैनिःसंदेह,तुम्हारे अन्दर मोती है तुम्हे ज्ञात तो है,फिर भी अनजान हो...

bahut sach hai...ham akele mein shayad ise utani gahrayi se nahin jan opate ..bahut satechak rachana..badhai

R. Venukumar said...

मेरे सहयात्री,नदी की पूर्णता तो समुद्र से है....ईश्वर ने तुम्हें मानसरोवर बनाया हैनिःसंदेह,तुम्हारे अन्दर मोती है तुम्हे ज्ञात तो है,फिर भी अनजान हो...


bahut achchhi bat

डॉ. जेन्नी शबनम said...

rashmi ji,
behad saargarbhit aur daarshanik rachna, badhai aapko.

vandana gupta said...

ek bahut hi utkrisht rachna.........swayam mein hi sab samahit hai bas wahan gota lagana hoga.