नीड़ के निर्माण में,
कभी तूफ़ान में , कभी गर्म थपेडों में...
कभी अनजानी राहों से...
कभी दहशत ज़दा रास्तों से...
माँ से अधिक तिनके उठाए नन्हें चिडों ने...
देने का तो नाम था...
उस देय को पाने के नाम पे...
एक बार नहीं सौ बार शहीद हुए॥
शहादत की भाषा भी नन्हें चिडों ने जाना॥
समय की आंधी में बने सशक्त पंखो को...
फैलाया माँ के ऊपर...
माँ सा दर्द लेकर सीने में॥
युवा बना नन्हा चिड़ा...
झांकता है नीड़ से बाहर,
डरता है माँ चिडिया के लिए...
"शिकारी के जाल के पास से दाना उठाना,
कितना खतरनाक होता है...
ऐसे में स्वाभिमान की मंजिल तक पहुँचने में...
जो कांटे चुभेंगे उसे कौन निकालेगा?"
चिडिया देखती है अपने चिडों को॥
उत्साह से भरती है, ख्वाब सजाती है, चहचहाती है...
"कुछ" उडानें और भरनी हैं...
यह "कुछ" अपना बल है...
फिर तो...
हम जाल लेकर उड़ ही जायेंगे...
13 comments:
bahut hi gahan arth liye hai rachna.........badhayi
क्या कहे चिड़िया को ? चिड़ो पर तो चिड़िया को अपने आप से ज्यादा भरोसा है .. है न् ?
बस "कुछ" उड़ान का इंतज़ार है ... और फुर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र खुले आसमान में, जहा ना शिकारी होंगा, ना बार बार स्वाभिमान कुचला जायेंगा ... एक नयी दुनिया, सिर्फ चिड़िया और चिड़ो की ... ILu ..!
चिडिया देखती है अपने चिडों को॥
उत्साह से भरती है, ख्वाब सजाती है, चहचहाती है...
"कुछ" उडानें और भरनी हैं...
यह "कुछ" अपना बल है...
फिर तो...
हम जाल लेकर उड़ ही जायेंगे...
har sankat men khud ka hi bal kaam aata hai ...bahut sundar sandesh deti rachna hai....badhai
नीड़ के निर्माण में,
कभी तूफ़ान में , कभी गर्म थपेडों में...
कभी अनजानी राहों से...
कभी दहशत ज़दा रास्तों से...
.bahut hi achcha likha hai aapne...
वाह! सुन्दर भाव और सुन्दर शब्द विन्यास!
कुछ" उडानें और भरनी हैं...
यह "कुछ" अपना बल है...
sundar bhav
naman hai sabko
rashmi ji,
behad sakaraatmak soch aur kathinaiyon mein bhi asha ki ummid ko darshati sundar rachna, shubhkamnaayen.
"शिकारी के जाल के पास से दाना उठाना,
कितना खतरनाक होता है...
ऐसे में स्वाभिमान की मंजिल तक पहुँचने में...
जो कांटे चुभेंगे उसे कौन निकालेगा?"
behad chintarparak bimb...soch ki gambhirta aur gahrayi ke sath .
aur choojon ka itana sajeev chitra jo kavita ko apne mool laxya tak prabhavshali tareeqe se pahunchata hai..sunder..
सर्जनात्मकता उजागर होती ही है
चिड़िया देखती है अपने चिडों को ...अपनी चिड़ियों को नहीं .....नहीं क्या ...??
Chitr aur rachna dono lajawab..! Iske alawaa kya kahu? Alfaaz nahee hain!
Rashmiji,
kalse mai tippanee ke liye alfaaz dhoondh rahee thee...nahi mile...!
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