बेपनाह मुहोब्बतका सिला मिल गया,
जिन पनाहोंमे दिल था,
वही बेदिल,बे पनाह कर गया...
मेरीही जागीरसे, बेदखल कर गया...!
मिल गया, मुझे सिला मिल गया....
दुआओं समेत, सब कुछ ले गया,
हमें पागल करार कर गया,
दुनियादार था, रस्म निभा गया,
ज़िंदगी देनेवाला ख़ुद मार गया,
मिल गया, मुझे सिला मिल गया...
तुम हो सबसे जुदा, कहनेवाला,
हमें सबसे जुदा कर गया,
मै खतावार हूँ तुम्हारा,
कहनेवाला, खुदको बरी कर गया,
मिल गया मुझे सिला मिल गया...
ता क़यामत इंतज़ार करूँगा,
कहके, चंद पलमे चला गया,
ना मिली हमारी बाहें,तो क्या,
वो औरोंकी बाहोंमे चला गया..
मिल गया ,मुझे सिला मिल गया...
मौत मारती तो बेहतर होता,
हमें मरघट तो मिला होता,
उजडे ख्वाब मेरे, उजड़ी बस्तियाँ,
वो नयी दुनियाँ बसाने चल दिया...
मिल गया, मुझे सिला मिल गया....
कैद्से छुडाने वो आया था,
मेरे परतक काटके निकल गया,
औरभी दीवारें ऊँची कर गया...
वो मेरा प्यार था, या सपना था,
दे गया, मुझे सिला दे गया...
मुश्किलोंमे साथ देनेका वादा ,
सिर्फ़ वादाही रह गया,
आसाँ राहोंकी तलाशमे निकल गया...
ज़िंदगी और पेचीदा कर गया...
दे गया, मुझे सिला दे गया...
जिन पनाहोंमे दिल था,
वही बेदिल,बे पनाह कर गया...
मेरीही जागीरसे, बेदखल कर गया...!
मिल गया, मुझे सिला मिल गया....
दुआओं समेत, सब कुछ ले गया,
हमें पागल करार कर गया,
दुनियादार था, रस्म निभा गया,
ज़िंदगी देनेवाला ख़ुद मार गया,
मिल गया, मुझे सिला मिल गया...
तुम हो सबसे जुदा, कहनेवाला,
हमें सबसे जुदा कर गया,
मै खतावार हूँ तुम्हारा,
कहनेवाला, खुदको बरी कर गया,
मिल गया मुझे सिला मिल गया...
ता क़यामत इंतज़ार करूँगा,
कहके, चंद पलमे चला गया,
ना मिली हमारी बाहें,तो क्या,
वो औरोंकी बाहोंमे चला गया..
मिल गया ,मुझे सिला मिल गया...
मौत मारती तो बेहतर होता,
हमें मरघट तो मिला होता,
उजडे ख्वाब मेरे, उजड़ी बस्तियाँ,
वो नयी दुनियाँ बसाने चल दिया...
मिल गया, मुझे सिला मिल गया....
कैद्से छुडाने वो आया था,
मेरे परतक काटके निकल गया,
औरभी दीवारें ऊँची कर गया...
वो मेरा प्यार था, या सपना था,
दे गया, मुझे सिला दे गया...
मुश्किलोंमे साथ देनेका वादा ,
सिर्फ़ वादाही रह गया,
आसाँ राहोंकी तलाशमे निकल गया...
ज़िंदगी और पेचीदा कर गया...
दे गया, मुझे सिला दे गया...
3 comments:
विरह की...बेवफाई की पीड़ा को व्यक्त करने में आपकी रचना सफल रही है...बधाई स्वीकार करें
कैद्से छुडाने वो आया था,
मेरे परतक काटके निकल गया,
बेवफ़ाई की तकलीफ़ मुखर हो कर सामने आई है. बहुत सुन्दर रचना.
Waah, bahut khoob!
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