कुछ अरसा हुआ
एक तूफाँ मिला,
ज़िंदगी के निशाँ
पूरी तरह मिटा गया,
जब वो थम गया,
जीवन के कयी
भेद खोल गया!
कुछ अरसा हुआ...
कल के बारेमे
आगाह कर गया !
हर तूफाँ से हर बार
खुद ही निपटना होगा
तूफाँ समझा गया!
कुछ अरसा हुआ॥
फिर तो कयी तूफाँ
लेकर निशाँ , आये गए,
सैकड़ों बरबादियाँ,
बार, बार छोड़ गए
हरबार मुझे भी,
चूर,चूर कर गए
दोस्त नही आए,
ऐसे तूफाँ आए गए...
पर हर बार फिर से
वही बात दोहरा गए,
अकेलेही चलना है तुम्हें
तूफाँ कान मे सुना गए...
लौटने का वादा निभाते रहे..
तूफाँ आते रहे...आते रहे..
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6 comments:
तूफ़ान का काम ही है विध्वन्स करना.लेकिन ये भी तो सच है, कि कितना ही बडा तूफ़ान क्यों न हो हमारी जिजीविषा हमें फिर जीने के काबिल बना देती है. सुन्दर रचना.
बहुत सही कहा आपने ...जीवन में ऐसी कई मुश्किलें आती है जिनसे हम कुछ न कुछ सीखते हैं...हर तूफ़ान हमें और मजबूती से जीना सिखाता है...
umda kavita...........
sachmuch anupam kavita ..........
badhaai yogya kavita ..........
badhaai !
bahut hi shandar likha hai..............toofanon ka kaam hai aana aur jana aur hamara unse ladna aur jeena.
फिर तो कयी तूफाँ
लेकर निशाँ , आये गए,
सैकड़ों बरबादियाँ,
बार, बार छोड़ गए
हरबार मुझे भी,
चूर,चूर कर गए
दोस्त नही आए,
ऐसे तूफाँ आए गए...
पर हर बार फिर से
वही बात दोहरा गए,
अकेलेही चलना है तुम्हें
तूफाँ कान मे सुना गए...
लौटने का वादा निभाते रहे..
तूफाँ आते रहे...आते रहे..
bahut khoob, nirasha men asha jagaane waale sunder bol.
तूफाँ से लडने की हिम्मत देती है जिंदगी और आप की जिंदगी तो खुद ही मिसाल है ।
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