शमा जी ,अभी तक आपके संस्मरण और कहानियां ही पढ़ी थी आज कविता पढ़ रहा हूँ ! मेरी कोशिश रहती है कि मैं कविता उस गीली ज़मीन पर उतरकर पढूं जहाँ से रचनाकार ने उसे लिखा है और उस की नमीं को अपने पैरों तले महसूस कर सकूँ ! आपकी रचनाएँ इसलिए अनूठी होती हैं क्योंकि वे सीधे ह्रदय से ही उतरती हैं ,दिमाग का व्यवधान उनमें बिलकुल नहीं होता ,यही खूबी आपको अन्य रचनाकारों से अलग करती है ! आप विशेष प्रतिभा की धनी हैं ! आपके बोनसाई के slide show और miniatures जीवंत प्रमाण है आपकी प्रतिभा के ,बहुत ही खूबसूरत !
11 comments:
बहुत ख़ूबसूरत
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पढ़िए शिबली हसन 'शैल' की ग़ज़ल:
ग़ज़लों के खिलते गुलाब
शमा जी,
बात कहने का अंदाज बहुत भाया।
ऐसी ज़मीं कहॉ ,
जो खिसकी नही पैरोतले !
कभी खिसकी दसवें कदम पे
तो कभी कदम उठाने से पहले .....
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
शमा जी,
साईड़ बार में लगी हुई स्लाईड शो में बड़े ही खूबसूरत बोन्साई देखे। क्या आप बनाती है? यदि हाँ तो कम-ज-कम एक महीने में एक पोस्ट तो दे ही सकती हैं।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
waah kya baat hai!
क्या कहूं कि क्या लिख दिया है आपने!!!!!!!!
kuchh jamini hakikat ko bayan karati rachana ......sundar
शमा मैम,
बहुत ही सुन्दर रचना...
और शब्दों का चुनाव लाजवाब है...
ऐसी ज़मीं कहॉ ,
जो खिसकी नही पैरोतले !
कभी खिसकी दसवें कदम पे
तो कभी कदम उठाने से पहले ..... boht khoobsurat likha.....
शमा जी ,अभी तक आपके संस्मरण और कहानियां ही पढ़ी थी आज कविता पढ़ रहा हूँ ! मेरी कोशिश रहती है कि मैं कविता उस गीली ज़मीन पर उतरकर पढूं जहाँ से रचनाकार ने उसे लिखा है और उस की नमीं को अपने पैरों तले महसूस कर सकूँ ! आपकी रचनाएँ इसलिए अनूठी होती हैं क्योंकि वे सीधे ह्रदय से ही उतरती हैं ,दिमाग का व्यवधान उनमें बिलकुल नहीं होता ,यही खूबी आपको अन्य रचनाकारों से अलग करती है ! आप विशेष प्रतिभा की धनी हैं !
आपके बोनसाई के slide show और miniatures जीवंत प्रमाण है आपकी प्रतिभा के ,बहुत ही खूबसूरत !
शमा जी सुन्दर... गागर में सागर वाली बात है आपकी कविता में
बहुत खूब लिखा है आपने
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