निधी , सही कहा तुमने! किसीको जवाब देते हुए ये पंक्तियाँ लिखी थीं ! kisee ब्लॉग पे एक शिकायत थी , कि , "हमें फिर भी कोई चीज़ क्यों प्यारी लगी ?" उसीका ये जवाब था ...कि , चंद खामियाँ , हम नज़र अंदाज़ करते हैं ...इसलिए हमें प्यारी लगती हैं , या दुःख पोहोचाती हैं ..! मेरे मनकी बात निधी, तुमने कह डाली...
4 comments:
क्योंकि जब आसमान से आग बरसे,
तब , सर पे छत ही ,लगे है
जब धूप झुलसा जाए,
तब , चाँदनी प्यारी लगे,
निधी , सही कहा तुमने! किसीको जवाब देते हुए ये पंक्तियाँ लिखी थीं !
kisee ब्लॉग पे एक शिकायत थी , कि , "हमें फिर भी कोई चीज़ क्यों प्यारी लगी ?"
उसीका ये जवाब था ...कि , चंद खामियाँ , हम नज़र अंदाज़ करते हैं ...इसलिए हमें प्यारी लगती हैं , या दुःख पोहोचाती हैं ..!
मेरे मनकी बात निधी, तुमने कह डाली...
बहुत सुन्दर
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नये प्रकार के ब्लैक होल की खोज संभावित
सुन्दर रचना है, मैं अगर कुछ कहूं तो.
कलाम मेरा नहीं है.
"धूप लाख मेहबान,हो मेरे दोस्त,
धूप धूप होती है,चांदनी नहीं होती"
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