क्या कहा?, तुम जादू दिखाओगे!
जाने दो फ़िर हमें बेवकूफ़ बनाओगे.
वख्त आने पे बरसात होती है,
ये बात तुम प्यासों को बताओगे.
मेरे ज़ख्मों को बे मरहम ही रहने दो,
ये खुले , तो तुम बिखर जाओगे.
बम धमाके में,वो ही क्यों मरा?
उसकी मां को ,ये कैसे समझाओगे.
मैने माना पढा दोगे, सब लोगों को
जो काबिल भूलें है,सब,उन्हें क्या बताओगे.
4 comments:
बहुत सुन्दर शेर कहा है आपने अप्पकी ग़ज़ल बहुत लाज़बाब है
मेरे ब्लॉग पर पधारे और ग़ज़ल मोहब्बत - रूहानी ज़ज्बा जरूर पढें
Hameshakee tarah..mere paas alfaaz nahee..aise me khamosh rehna pasand kartee hun...!
"...uskee maa ko, ye kaise samjhaoge?"
Yaa,"...waqt aanepe barsaat hogee..." aise ashaar ke bareme kya kaha jaa sakta hai?
Adar sneh sahit
shama
शमा जी,
आपको मै कैसे शुक्रिया कहूं,आप ने जिस तरह मेरे लिखे हुये आम विचारों को सम्मान दिया है,वो एक कोमल कवि मन ही कर सकता है.इस को "सच में" और उसके लेखक के प्रति बनाये रखें.आप का शुक्रिया.
बम धमाके में,वो ही क्यों मरा?
उसकी मां को ,ये कैसे समझाओगे.
सभी शेर उम्दा --- बेहतरीन
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