Monday, April 27, 2009

सिला मिल गया....

बेपनाह मुहोब्बतका सिला मिल गया,
जिन पनाहोंमे दिल था,
वही बेदिल,बे पनाह कर गया...
मेरीही जागीरसे, बेदखल कर गया...!
मिल गया, मुझे सिला मिल गया....

दुआओं समेत, सब कुछ ले गया,
हमें पागल करार गया,
दुनियादार था, रस्म निभा गया,
ज़िंदगी देनेवाला ख़ुद मार गया,
मिल गया, मुझे सिला मिल गया...

तुम हो सबसे जुदा, कहनेवाला,
हमें सबसे जुदा कर गया,
मै खतावार हूँ तुम्हारा,
कहनेवाला, खुदको बरी कर गया,
मिल गया मुझे सिला मिल गया...

ता क़यामत इंतज़ार करूँगा,
कहके, चंद पलमे चला गया,
ना मिली हमारी बाहें,तो क्या,
वो औरोंकी बाहोंमे चला गया..
मिल गया ,मुझे सिला मिल गया...

मौत मारती तो बेहतर होता,
हमें मरघट तो मिला होता,
उजडे ख्वाब मेरे, उजड़ी बस्तियाँ,
वो नयी दुनियाँ बसाने चल दिया...
मिल गया, मुझे सिला मिल गया....

कैद्से छुडाने वो आया था,
मेरे परतक काटके निकल गया,
औरभी दीवारें ऊँची कर गया...
वो मेरा प्यार था, या सपना था,
दे गया, मुझे सिला दे गया...

मुश्किलोंमे साथ देनेका वादा ,
सिर्फ़ वादाही रह गया,
आसाँ राहोंकी तलाशमे निकल गया...
ज़िंदगी और पेचीदा कर गया...
दे गया, मुझे सिला दे गया...

7 comments:

'sammu' said...

inheen sachchayion ke parde me
jane kitne bharam bhee palte hain.
jo kaheen bhee gaya naheen hoga
usko hee bewafa vo kahte hain .

pyar to hota hee hai sapno sa
pyar vadon se bas naheen nibhta
teree bahon kee hogee mazbooree
gair kee banh me vo kyoon milta

विजय तिवारी " किसलय " said...

बेहद ऊँचे ज़ज्बात है आपकी ग़ज़ल में .
ये तो बहुत अच्छा शेर है :-

मौत मारती तो बेहतर होता,
हमें मरघट तो मिला होता,
उजड़े ख्वाब मेरे, उजड़ी बस्तियाँ,
वो नयी दुनिया बसाने चल दिया...
-विजय

Yogesh Verma Swapn said...

कैद्से छुडाने वो आया था,
मेरे परतक काटके निकल गया,
औरभी दीवारें ऊँची कर गया...
वो मेरा प्यार था, या सपना था,
दे गया, मुझे सिला दे गया...

मुश्किलोंमे साथ देनेका वादा ,
सिर्फ़ वादाही रह गया,
आसाँ राहोंकी तलाशमे निकल गया...
ज़िंदगी और पेचीदा कर गया...
दे गया, मुझे सिला दे गया...

dard se labrej , sunder panktiyan. bahut achcha likha shamaji.

Deepak Tiruwa said...

जो सिला आपको मिला आपने दूसरो में बाँट दिया....? खैर भगवान अगर है तो ऐसा सिला किसी को न दे....इत्यादि....!

devil's moral

रवीन्द्र दास said...

achchha hai!

BrijmohanShrivastava said...

एक दर्दीली रचना /मेरी ही जागीर से बेदखल कर गया /(हमें पागल करार गया में कुछ संशोधन आवश्यक )यह कहने वाला कि ""तुम सब से अलग किस्म के हो"" कह कर हमें सबसे जुदा कर गया;; बात बात बहुत गहन और गंभीर है /( न मिली हमारी बाहें की जगह हमारी बाहें छोड़ कर भी हो सकता है क्योंकि ""न मिली ""में एक विवशता है ,एक विकल्प है एक आवश्यकता है और विकल्प अपनाना स्वाभाविक है वादा सिर्फ वादा रहा किसी को आसान रहें मिली और किसी की जिंदगी पेचीदा हुई /बहुत ही मार्मिक रचना /

Rajat Narula said...

its a wonderful nazm....