Saturday, April 18, 2009

नही जुस्तजू हमें....

जिसे हर रात चाहिए
नयी चाँदनी, आँगन नए,
हर शाम लबोंके जाम नए,
जिस्म नए, हरवक्त नयी बाहें,
इक रातकी बदरीसे डरके,
जो तलाशे उजाले नए,
उम्र गुजार देंगे अमावस में ,
ऐसे चाँदकी नही जुस्तजू हमें...

कृष्ण पक्षके के स्याह अंधेरे
बने रहनुमा हमारे,
कई राज़ डरावने,
आ गए सामने, बन नजारे,
बंद चश्म खोल गए,
सचके साक्षात्कार हो गए,
हम उनके शुक्रगुजार बन गए...

बेहतर हैं यही साये,
जिसमे हम हो अकेले,
ना रहें ग़लत मुगालते,
मेहेरबानी, ये करम
बड़ी शिद्दतसे वही कर गए,
चाहे अनजानेमे किए,
हम आगाह तो हो गए....

जो नही थे माँगे हमने,
दिए खुदही उन्होंने वादे,
वादा फरोशी हुई उन्हीसे,
बर्बादीके जश्न खूब मने,
ज़ोर शोरसे हमारे आंगनमे...
इल्ज़ाम सहे हमीने...
ऐसेही नसीब थे हमारे....

अब न रहे कोई शिकवे,
बेहतर हैं यही साये,
जिनमे हम हो अकेले,
गंध आती है, उस उतरन में,
बसी है जिसमे अजनबी साँसे,
मुबारक हो, वो उजाले,
वो आँगन, वो सितारे,
उन्हें, जो अब नही हमारे...

जब रंगीनिया दामन छोड़ दें,
पास ना हो कोई,
बुला लेना हमें,
खिदमत में हाज़िर होंगे,
आज़माँ लेना कभीभी,
जब कभी पड़ जाओ अकेले....
ये रहे वादे हमारे,
अमादा रहेंगे इनपे,
जीते जी हमारे.....

शमा...जो जली हरदम अकेली....

3 comments:

'sammu' said...

shama ........jo hardam jalee akelee..............

shiddat ka akelapan, nirasha aur vishad jhalakta hai . aasha hai ye kavita hee hai . ummeed hai ki jindgee na ho.
bas ye kahoon ?

ujale hamko hasil hain ,khud apne ko jalaane se,
vo chahe ,chand ,tare aur, sooraj hee sajate hain .

kaha dhalte huye ssoraj ne andheron ka kya hoga ?
shama hans kar ke ye bolee,inhen to ham mitate hain !

mark rai said...

उम्र गुजार देंगे अमावस में ,
ऐसे चाँदकी नही जुस्तजू हमें...
chaandani se itani berukhi vishwaas nahi hota...

Pradeep Kumar said...

जब रंगीनिया दामन छोड़ दें,
पास ना हो कोई,
बुला लेना हमें,
खिदमत में हाज़िर होंगे,
आज़माँ लेना कभीभी,
जब कभी पड़ जाओ अकेले....
ये रहे वादे हमारे,
अमादा रहेंगे इनपे,
जीते जी हमारे.....
wah ji wah kya pyaar hai!!
bahut khoob