" तुझसे जुदा होके,
जुदा हूँ,मै ख़ुद से ,
यादमे तेरी, जबभी,
होती हैं नम, पलकें मेरी,
भीगता है सिरहाना,
खुश रहे तू सदा,
साथ आहके एक,
निकलती है ये दुआ!
ये क्या मोड़ ले गयी
ज़िंदगी तेरी मेरी?
कहाँ थी? कहाँ गयी?
लगता है डर सोचके,
के आसमान हमारे,
जुदा हो गए हैं कितने!
जब तेरी सुबह है होती,
मेरी शाम सूनी-सी
रातमे है बदल जाती,
मुझे सुबबह्का किसी,
कोई इंतज़ार नही,
जहाँ तेरा मुखड़ा नही,
वो आशियाँ मेरा नही,
इस घरमे झाँकती
किरणों मे उजाला नही!
चीज़ हो सिर्फ़ कोई ,
उजाले जैसी, हो वो जोभी,
मुझे तसल्ली नही!
वार दूँ, दुनिया सारी,
मेरी, तुझपे ,ओ मेरी,
तू नज़र तो आए सही,
कहाँ है मेरी लाडली,
मुझे ख़बर तक नही!!
ये रातें भीगीं, भीगीं,
ये आँखें भीगी, भीगी,
कर लेती हूँ बंदभी,
तू यहाँसे हटती नही...!
बोहोत याद आती है लाडली,
कैसे भुलाऊँ एक पलभी,
कोई हिकमत आती नही...!
लाड़ली मेरी, लाडली,
मंज़ूर है रातें अंधेरी,
तुझे हरपल मिले चाँदनी ....
शमा....एक माँ.....
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1 comment:
kaise bhulaoon ek pal bhee ...............
bahut too yad aatee hai !
LADLEE !
MEREE LAADLEE !
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