बोहोत वक़्त बीत गया,
यहाँ किसीने दस्तक दिए,
दिलकी राहें सूनी पड़ीं हैं,
गलियारे अंधेरेमे हैं,
दरवाज़े हर सरायके
कबसे बंद हैं !!
पता नही चलता है
कब सूरज निकलता है,
कब रात गुज़रती है,
सुना है, सितारों भरी ,
रातें भी होतीं हैं!
चाँद भी घटता बढ़ता है,
शफ्फाक चांदनी, रातों में,
कई आँगन निखारती है,
यहाँ दीपभी जला हो,
ऐसा महसूस होता नही....
उजाले उनकी यादोंके,
हुआ करते थे कभी,
अब तो सायाभी नही,
ज़माने गुज़रे, युग बीते,
इंतज़ार ख़त्म होगा नही...
कौन समझाए उसे?
वो किसीका सुनती नही.....
शमा
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1 comment:
KAH DO KI UJALE YADON KE ,KUCH KHWAB BANANE NIKLE HAIN .
JO CHOD GAYE ANDHERE VO ,AB 'SHAMA' JALANE NIKLE HAIN .
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