Saturday, March 6, 2010

Nanheen कलियाँ...

जब एक बूँद नूरकी,
भोलेसे चेहरे पे किसी,
धीरेसे है टपकती ,
दो पंखुडियाँ नाज़ुक-सी,
मुसकाती हैं होटोंकी,
वही तो कविता कहलाती!

क्यों हम उसे गुनगुनाते नही?
क्यों बाहोंमे झुलाते नही?
क्यों देते हैं घोंट गला?
करतें हैं गुनाह ऐसा?
जो काबिले माफी नही?
फाँसी के फँदेके सिवा इसकी,
दूसरी कोई सज़ा नही??

किससे छुपाते हैं ये करतूते,
अस्तित्व जिसका चराचर मे,
वो हमारा पालनहार,
वो हमारा सर्जनहार,
कुछभी छुपता है उससे??
देखता हजारों आँखों से!!
क्या सचमे हम समझ नही पाते?

आओ, एक बगीचा बनायें,
जिसमे ये नन्हीं कलियाँ खिलाएँ,
इन्हें स्नेह्से नेहलायें,
महकेगी जिससे ज़िंदगी हमारी,
महक उठेगी दुनियाँ सारी...
मत असमय चुन लेना,
इन्हें फूलने देना,
एक दिन आयेगा ऐसा,
जब नाज़ करोगे इन कलियोंका.....

10 comments:

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

.....आओ, एक बगीचा बनायें,
जिसमे ये नन्हीं कलियाँ खिलाएँ,
इन्हें स्नेह से नहलायें,
महकेगी जिससे ज़िंदगी हमारी,
महक उठेगी दुनियाँ सारी...
मत असमय चुन लेना,
इन्हें फूलने देना,
एक दिन आयेगा ऐसा,
जब नाज़ करोगे इन कलियों का.....

शमा साहिबा, नाज करने लायक बेटियां, और ऐसी ही प्यारी सी रचना...

vandana gupta said...

behad umda aur khoobsoorat sandesh deti kavita hai ........badhayi.

प्रिया said...

bahut khoob! shayad dheere-dheere parivantarn aaye.....

दिगम्बर नासवा said...

जब एक बूँद नूरकी,
भोलेसे चेहरे पे किसी,
धीरेसे है टपकती ,
दो पंखुडियाँ नाज़ुक-सी,
मुसकाती हैं होटोंकी,
वही तो कविता कहलाती!

सच है हर भोले पन में ... मासूम अदा में जीवन खिलता है ... उसी को कविता कहते हैं ..

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

पता नहीं कैसे जी लेते हैं हत्यारे, हत्या के बाद भी

Amitraghat said...

"सुन्दर रचना...."
amitraghat.blogspot.com

Yogesh Verma Swapn said...

किससे छुपाते हैं ये करतूते,
अस्तित्व जिसका चराचर मे,
वो हमारा पालनहार,
वो हमारा सर्जनहार,
कुछभी छुपता है उससे??
देखता हजारों आँखों से!!
क्या सचमे हम समझ नही पाते?


bahut sunder abhivyakti.

CSK said...

aapki abhivyakti nischit hi shama ki bebasi aur uski vyagrata ke sath jeene ki parampara ko darshati hai..uttam rachna,uttam kavita...

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

महिला दिवस पर, महिलाओं को समर्पित सुन्दर रचना!महिला दिवस की शुभकामनाएं!

ओंकारनाथ मिश्र said...

बहुत प्यारी रचना.