Friday, March 12, 2010

ख्वाहिश! (कविता पर भी) मेरा पैगाम है मोहब्ब्त जहां तक पहुंचे!

तेरे मेरे 
शाम सवेरे,
कभी उजाले
कभी अंधेरे.

मन मेरा,
ज्यूं ढलता सूरज
गहरे बादल,
गेसू तेरे,

मैं एकाकी
तू भी तन्हा
यादों में आ
साथी मेरे

खुली आंख से
सपना जैसा,
तेरी आंख में
आंसू मेरे,

दुनियां ज़ालिम,
सूखे उपवन
दूर बसायें
अपने डेरे,

क्या जादू है?
मै न जानूं!
नींदें मेरी,
सपने तेरे|

16 comments:

विजय तिवारी " किसलय " said...

शमा जी
नमस्कार
आपकी रचना पढ़ कर बहुत अच्छा लगा
बहुत ही भाव पूर्ण रचना है.
मैं एकाकी
तू भी तन्हा
यादों में आ
साथी मेरे.
- विजय तिवारी ' किसलय "

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

क्या जादू है...मै न जानूं!
नींदें मेरी.....सपने तेरे|
सबसे खूबसूरत अहसास का लाजवाब बयान.

shama said...

Leoji behad bhavuk rachana pesh kee hai! Wah!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत सुन्दर...एक एक शब्द मन को छूता सा....खूबसूरत नज़्म..

Chandan Kumar Jha said...

कमाल की रचना । मजा आ गया ।
आभार

मनोज कुमार said...

यह सबसे खूबसूरत अहसास का लाजवाब बयान है।

मनोज कुमार said...

बहुत अच्छी प्रस्तुति।
इसे 13.03.10 की चिट्ठा चर्चा (सुबह ०६ बजे) में शामिल किया गया है।
http://chitthacharcha.blogspot.com/

Randhir Singh Suman said...

क्या जादू है?
मै न जानूं!
नींदें मेरी,
सपने तेरेnice

इस्मत ज़ैदी said...

खुली आंख से
सपना जैसा,
तेरी आंख में
आंसू मेरे

बहुत खूबसूरत एह्सास

क्या जादू है?
मै न जानूं!
नींदें मेरी,
सपने तेरे

मासूम पंक्तियां

बहुत सुंदर वाह

vandana gupta said...

bahut hi bhavpoorna rachna.

वाणी गीत said...

नींद मेरी सपने तेरे ....
तेरी आँख में आंसू मेरे ...
सुन्दर कविता ....!!

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

प्रिय मनोज जी,

आप के द्वारा मेरी रचना "ख्वाहिश" (http://sachmein.blogspot.com/2010/03/blog-post_11.html)को पसंद करने तथा उसे अपने मंच( चिट्ठा चर्चा ) पर सराहने के लिये मैं आप का आभारी हूं।

साथ ही आप का ध्यान एक अति महत्वहीन एक तत्थ्य की ओर आकर्षित करना अपना कर्तव्य समझता हूं,वो यह कि "कविता" Blog पर प्रस्तुत यह अति साधारण एवं तुच्छ रचना, मेरे द्वारा शब्दांकित की गई थी। ये तो माननीया ’शमा जी’ का स्नेह और सह्रयता है कि वे मुझे अपने सुन्दर चिठ्ठे ’कविता’ पर पोस्ट करने का मौका दे कर ,उनके पाठक गणों तक पहुंचने का अवसर प्रदान करती हैं।

एक और सुझाव देना चाहुंगा कि यदि सम्भव हो तो, किसी भी पोस्ट को चर्चा हेतु प्रस्तुत करने से पूर्व ही उसकी सूचना Blog Owner/लेखक को दे सकें तो शायद ज्यादा, आनन्द आवेगा और जैसा मेने देखा कि कुछ लेखको को जिन्हें शायद मौजूदा प्रक्रिया पर किन्चित एतराज भी से बचा जा सके।

एक बार पुन: सधन्यवाद,शुभकामनाओं सहित,

'Ktheleo' "सच में" (www.sachmein.blogspot.com

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

आप सब का आभार! साधरण से शब्दों को कविता मे बदल दिया आप सब की सराहनाओं एवं स्नेह ने।
मैं ह्रदय से आभारी हूं,आप सब सुधी पाठको का।
'Ktheleo' "सच में" www.sachmein.blogspot.com

मनोज कुमार said...

ग़लती के लिये क्षमा प्रार्थी हूँ। इस भूल कॊ सुधार दिया हूँ।
आपका सुझाव
"एक और सुझाव देना चाहुंगा कि यदि सम्भव हो तो, किसी भी पोस्ट को चर्चा हेतु प्रस्तुत करने से पूर्व ही उसकी सूचना Blog Owner/लेखक को दे सकें तो शायद ज्यादा, आनन्द आवेगा और जैसा मेने देखा कि कुछ लेखको को जिन्हें शायद मौजूदा प्रक्रिया पर किन्चित एतराज भी से बचा जा सके।"
अच्छा लगा। वैसे मैं अपनी तरफ़ से कोशिश करता हूँ कि प्रकाशन के पूर्व उस ब्लॉग पर जानकारी दे दूँ जहां से लिंक लेता हूँ।

Yogesh Verma Swapn said...

anupam.

eSamyak said...

bahut achi kavita hai