एक पुरानी रचना "कविता" के प्रबुद्ध पाठकों की नज़र कर रहा हूं!
आओ गीत लिखें,
हारें क्यों हम गम से डर से,
प्यार की जीत लिखें,
आओ गीत.....
जहाँ धुन्न्ध है अंधियारा है ,
बारूदो का गलियारा है,
जीवन संगीत लिखें,
आओ गीत....
आतंकी चेहरों को भूलें,
दर्द मिटा दें मरहम से,
प्यारे मनमीत लिखें,
आओ गीत....
क्यों नफ़रत के शूल उगायें ,
क्यों ना मिल कर फूल खिलायें
उपवन में प्रीत लिखें,
आओ गीत ......
गीत लिखें कुछ खट्टे मीठे,
गीत लिखें कुछ सच्चे झूंठे,
जीवन की रीत लिखें,
आओ गीत.....
गीत लिखें कुछ रंगबिरंगे,
गीत लिखे कुछ नंगधड़न्गे
बचपन की भीत रखें,
आओ गीत लिखें......
आओ गीत लिखें............!!!!!!
7 comments:
जहाँ धुन्न्ध है अंधियारा है ,
बारूदो का गलियारा है,
जीवन संगीत लिखें,
आओ गीत..
बहुत सुंदर सोच
क्यों नफ़रत के शूल उगायें ,
क्यों ना मिल कर फूल खिलायें
उपवन में प्रीत लिखें,
आओ गीत ......
बहुत उम्दा अगर सब ऐसा ही सोचें तो ये संसार ही स्वर्ग बन जाए
एक आदर्श स्थान जैसा ऊपर वाले ने बनाते वक़्त सोचा होगा
Aah..! Ammen...! Leoji, kya gazab alfaaz hain!
क्यों नफ़रत के शूल उगायें ,
क्यों ना मिल कर फूल खिलायें
उपवन में प्रीत लिखें,
आओ गीत लिखें
शानदार.....मुबारकबाद.
bahut sunder rachna. badhaai.
हारे क्यों डर से ....
लड़ेंगे नफरत से ...
गीत जरुर लिखेंगे !!
Sundar bhavpurn rachna ke liye dhanyavaad...
Bahut shubhkamnayne.
गीत बहुत ही आशा और उमंग से भरपूर है .... लाजवाब ...
आज ऐसे ही गीतों की ज़रूरत है ..
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