Saturday, March 27, 2010

आओ गीत लिखें!

एक पुरानी रचना "कविता" के प्रबुद्ध पाठकों की नज़र कर रहा हूं!

आओ गीत लिखें,
हारें क्यों हम गम से डर से,
प्यार की जीत लिखें,
आओ गीत.....
जहाँ धुन्न्ध है अंधियारा है ,
बारूदो का गलियारा है,
जीवन संगीत लिखें,
आओ गीत....
आतंकी चेहरों को भूलें,
दर्द मिटा दें मरहम से,
प्यारे मनमीत लिखें,
आओ गीत....

क्यों नफ़रत के शूल उगायें ,
क्यों ना मिल कर फूल खिलायें
उपवन में प्रीत लिखें,
आओ गीत ......
गीत लिखें कुछ खट्टे मीठे,
गीत लिखें कुछ सच्चे झूंठे,
जीवन की रीत लिखें,
आओ गीत.....
गीत लिखें कुछ रंगबिरंगे,
गीत लिखे कुछ नंगधड़न्गे
बचपन की भीत रखें,
आओ गीत लिखें......
आओ गीत लिखें............!!!!!!

7 comments:

इस्मत ज़ैदी said...

जहाँ धुन्न्ध है अंधियारा है ,
बारूदो का गलियारा है,
जीवन संगीत लिखें,
आओ गीत..


बहुत सुंदर सोच

क्यों नफ़रत के शूल उगायें ,
क्यों ना मिल कर फूल खिलायें
उपवन में प्रीत लिखें,
आओ गीत ......

बहुत उम्दा अगर सब ऐसा ही सोचें तो ये संसार ही स्वर्ग बन जाए
एक आदर्श स्थान जैसा ऊपर वाले ने बनाते वक़्त सोचा होगा

shama said...

Aah..! Ammen...! Leoji, kya gazab alfaaz hain!

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

क्यों नफ़रत के शूल उगायें ,
क्यों ना मिल कर फूल खिलायें
उपवन में प्रीत लिखें,
आओ गीत लिखें
शानदार.....मुबारकबाद.

Yogesh Verma Swapn said...

bahut sunder rachna. badhaai.

वाणी गीत said...

हारे क्यों डर से ....
लड़ेंगे नफरत से ...
गीत जरुर लिखेंगे !!

कविता रावत said...

Sundar bhavpurn rachna ke liye dhanyavaad...
Bahut shubhkamnayne.

दिगम्बर नासवा said...

गीत बहुत ही आशा और उमंग से भरपूर है .... लाजवाब ...
आज ऐसे ही गीतों की ज़रूरत है ..