मै नहीं मेरा अक्स होगा,जिस्म नही कोई शक्स होगा.ख्वाहिशें बेकार की है,पानी पे उभरा अक्स होगा.ज़िन्दगी अब और क्या हो,आंखों में तेरा नक्श होगा.गल्तियां मेरी हज़ारों,तू ही खता बख्श होगा.वाह - वाह एक से बढ़िया एक - लाजवाब
behtreen aur lajwaab rachnaa...
waah..........bahut hi sundar.
बहुत खूब..अच्छी पेशकश
behatareen, gagar men sagar. sabh ek se badhkar ek khubsurat.
शमा साहिबा आदाब......ख्वाहिशें बेकार की है,पानी पे उभरा अक्स होगा.शुक्रिया आपका ये कलाम पढवाने के लिये
bahut acchhi aur gehri rachna.badhayi.
गलतियाँ हजार की है मैंने ....तू ही खता बक्श होगा ...उस खुदा के सिवा किसके आगे करे कोई अपनी खता स्वीकार ...और उसके सिवा खता माफ़ भी कौन करे ...!!
शमा जी , मुगालते पंजाबी का शब्द है , सचमुच पानी पर बनते बिगड़ते अक्स भ्रम ही तो हैं |बढ़िया |
गल्तियां मेरी हज़ारों,तू ही खता बख्श होगा.बहुत सुन्दर.
बेमिसाल,लाजवाब बस और क्या लिखूं
khoobsoorat .....
आप सबका तहे दिल से शुक्रिया!मामूली लफ़्ज़ों को कलाम बना दिया आप सब की तारीफ़ ने!
दिल से शुक्रिया
Waah...Waah....behtareen.
अतिसुन्दर...अत्यंत सूक्ष्म और प्रभावित करने वाली रचना...
मै नहीं मेरा अक्स होगा,जिस्म नही कोई शक्स होगा.ख्वाहिशें बेकार की है,पानी पे उभरा अक्स होगा.ज़िन्दगी अब और क्या हो,आंखों में तेरा नक्श होगा.गल्तियां मेरी हज़ारों,तू ही खता बख्श होगा.jawab nahi in baton ka ,bahut khoob
आप सब का शुक्रगुज़ार हूं,रचना को पसंद किया.
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18 comments:
मै नहीं मेरा अक्स होगा,
जिस्म नही कोई शक्स होगा.
ख्वाहिशें बेकार की है,
पानी पे उभरा अक्स होगा.
ज़िन्दगी अब और क्या हो,
आंखों में तेरा नक्श होगा.
गल्तियां मेरी हज़ारों,
तू ही खता बख्श होगा.
वाह - वाह एक से बढ़िया एक - लाजवाब
behtreen aur lajwaab rachnaa...
waah..........bahut hi sundar.
बहुत खूब..अच्छी पेशकश
behatareen, gagar men sagar. sabh ek se badhkar ek khubsurat.
शमा साहिबा आदाब
......ख्वाहिशें बेकार की है,
पानी पे उभरा अक्स होगा.
शुक्रिया आपका ये कलाम पढवाने के लिये
bahut acchhi aur gehri rachna.
badhayi.
गलतियाँ हजार की है मैंने ....तू ही खता बक्श होगा ...
उस खुदा के सिवा किसके आगे करे कोई अपनी खता स्वीकार ...और उसके सिवा खता माफ़ भी कौन करे ...!!
शमा जी , मुगालते पंजाबी का शब्द है , सचमुच पानी पर बनते बिगड़ते अक्स भ्रम ही तो हैं |बढ़िया |
गल्तियां मेरी हज़ारों,
तू ही खता बख्श होगा.
बहुत सुन्दर.
बेमिसाल,लाजवाब बस और क्या लिखूं
khoobsoorat .....
आप सबका तहे दिल से शुक्रिया!मामूली लफ़्ज़ों को कलाम बना दिया आप सब की तारीफ़ ने!
दिल से शुक्रिया
Waah...Waah....behtareen.
अतिसुन्दर...अत्यंत सूक्ष्म और प्रभावित करने वाली रचना...
मै नहीं मेरा अक्स होगा,
जिस्म नही कोई शक्स होगा.
ख्वाहिशें बेकार की है,
पानी पे उभरा अक्स होगा.
ज़िन्दगी अब और क्या हो,
आंखों में तेरा नक्श होगा.
गल्तियां मेरी हज़ारों,
तू ही खता बख्श होगा.
jawab nahi in baton ka ,bahut khoob
आप सब का शुक्रगुज़ार हूं,रचना को पसंद किया.
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