Monday, September 28, 2009

परिंदे.....

उड़ गए परिंदे, है ख़ाली घोंसला,
जब भरती चोचों में दाना,
याद करे आज वो दिन मादा,
देखे ,क्षितिज को, जो दुभागा गया....

10 comments:

Vinay said...

विजयदशमी की शुभकामनाएँ!

Yogesh Verma Swapn said...

vijay dashmi ki shubhkaamnayen.

वन्दना अवस्थी दुबे said...

विजयादशमी की बहुत-बहुत शुभकामनायें

रश्मि प्रभा... said...

4 panktiyon ne mann moh liya

ओम आर्य said...

बहुत ही सुन्दर रचना अतिसुन्दर

ओम आर्य said...

बहुत ही सुन्दर रचना अतिसुन्दर

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

sunder abhivyakti aur sunder bhaav!

दिगम्बर नासवा said...

KUCH HI SHABDON MEIN GAHRI BAT KAH DEE HAI AAPNE .....

संजय भास्‍कर said...

बहुत सुन्दर रचना ।
ढेर सारी शुभकामनायें.

SANJAY BHASKAR
TATA INDICOM
HARYANA
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

अविनाश वाचस्पति said...

परिन्‍दे कहीं भी चले जायें
मन में बसते हैं ऐसे
कहीं जा सकते नहीं
कहीं जाते कभी नहीं