बहोत वक़्त बीत गया,
यहाँ किसीने दस्तक दिए,
दिलकी राहें सूनी पड़ीं हैं,
गलियारे अंधेरेमे हैं,
दरवाज़े हर सरायके
कबसे बंद हैं !!
राहें सूनी पडी हैं॥
पता नही चलता है
कब सूरज निकलता है,
कब रात गुज़रती है,
सुना है, सितारों भरी ,
होतीं हैं रातें भी
राहें सूनी पड़ीं..
चाँद भी घटता बढ़ता है,
शफ़्फ़ाक़ चाँदनी, रातों में,
कई आँगन निखारती है,
यहाँ दीपभी जला हो,
ऐसा महसूस होता नही....
दिलकी राहें सूनी पड़ीं...
उजाले उनकी यादोंके,
हुआ करते थे कभी,
अब तो सायाभी नही,
ज़माने गुज़रे, युग बीते,
इंतज़ार ख़त्म होगा नही...
दिलकी राहें सूनी पड़ीं....
यहाँ होगी रहगुज़र कोई,
राहें, रहेंगी सूनी,सूनी,
कौन समझाए उसे?
कौन कहेगा उसे?
वो किसीका सुनती नही.....
सूनी राहों को तकती रहती...
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
14 comments:
यहाँ होगी रहगुज़र कोई,
राहें, रहेंगी सूनी,सूनी,
कौन समझाए उसे?
कौन कहेगा उसे?
वो किसीका सुनती नही.....
सूनी राहों को तकती रहती...
inthaa udaasi ke ye rekhachitar bahut udas karne wala hai.....amarjeet kaunke
उजाले उनकी यादोंके,
हुआ करते थे कभी,
अब तो सायाभी नही,
ज़माने गुज़रे, युग बीते,
इंतज़ार ख़त्म होगा नही...
दिलकी राहें सूनी पड़ीं...behad achhi rachna
hriday sparshi rachna. umda.
badhai.
hriday sparshi rachna. umda.
badhai.
यहाँ होगी रहगुज़र कोई,
राहें, रहेंगी सूनी,सूनी,
कौन समझाए उसे?
कौन कहेगा उसे?
वो किसीका सुनती नही.....
सूनी राहों को तकती रहती...
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति जो दिल के करीब लगी
सुन्दर भाव !!!!!!!!
उजाले उनकी यादोंके,
हुआ करते थे कभी,
अब तो सायाभी नही,
ज़माने गुज़रे, युग बीते,
इंतज़ार ख़त्म होगा नही...
दिलकी राहें सूनी पड़ीं....
waah waah waah......
behad sundar abhivyakti
dazzling wordings
शमा जी,
चाँद भी घटता बढ़ता है,
शफ़्फ़ाक़ चाँदनी, रातों में,
कई आँगन निखारती है,
यहाँ दीपभी जला हो,
ऐसा महसूस होता नही....
दिलकी राहें सूनी पड़ीं...
खूब लुभाया इन पंक्तियों ने।
सादर,
मुकेश कुमार तिवारी
GAHRE EHSAAS MEIN DOOB KAR LIKHI NAJMEN HAI ...
जो ख़ुद शमा हो ,उसकी राहें सूनी कैसे ,खैर प्रस्तुति कमाल है ।
उजाले उनकी यादोंके,
हुआ करते थे कभी,
अब तो सायाभी नही,
ज़माने गुज़रे, युग बीते,
इंतज़ार ख़त्म होगा नही...
दिलकी राहें सूनी पड़ीं....
ati sundar .
सूरज जो दिल में जलता है
उसका पता भी कहां चलता है
यादों में सबकी पलता है
आंखों में सबकी ढलता है।
kuchh log hain abhage dastak naheen sunate .
ham hain ki kab se dar pe tere jar jar hain .
Post a Comment