Friday, September 25, 2009

जंगे आज़ादी...

२ अक्टूबर को गांधी जयंती आ रही है..ये कविता उस महात्मा और उसकी और हमारी माँ को समर्पित है .....जवाब उन लोगों को है, जो आज होती/दिखती हर बुराई के लिए गांधी को ज़िम्मेदार ठहरातें हैं...ये तो हर शहीद पे इल्ज़ामे बेवफ़ाई है...चाहे, गांधी हो, भगत सिंग हो या करकरे, सालसकर, अशोक काम्टे ....

ना लूटो , अस्मत इसकी,
ये है धरती माँ मेरी,
मै संतान इसकी,
क्यों है ये रोती?
सोचा कभी?
ना लूटो...

मत कहो इसे गंदी,
पलकोंसे ना सही,
हाथों से बुहारा कभी?
थूकने वालों को इसपे,
ललकारा कभी?
ना लूटो...

बस रहे हैं यहाँ कपूत ही,
तुम यहाँ पैदा हुए नही?
जो बोया गया माँ के गर्भमे
फसल वही उगी...
नस्ल वही पैदा हुई,
ना लूटो...

दिखाओ करतब कोई,
खाओ सीने पे गोली,
जैसे सीनेपे इंसानी,
गोडसेने गांधीपे चलायी,
कीमत ईमानकी चुकवायी,...
ना लूटो...

कहलाया ऐसेही नही,
साबरमती का संत कोई,
चिता जब उसकी जली,
कायनात ऐसेही नही रोई,
लडो फिरसे जंगे आज़ादी,
ना लूटो...

ख़तावार और वो भी गांधी?
तुम काबिले मुंसिफी नही,
झाँको इस ओर सलाखों की
बंद हुआ जो पीछे इनके,
वो हर इंसां गुनाहगार नही,
ना लूटो...

ये बात इन्साफ को मंज़ूर नही,
दिखलाओ उम्मीदे रौशनी,
महात्मा जगतने कहा जिसे,
वैसा फिर हुआ कोई?
कोई नही, कोई नही !!
ना लूटो...

11 comments:

ओम आर्य said...

वाह बहुत ही खुब ........

Yogesh Verma Swapn said...

bahut khoob, sunder rachna.

रश्मि प्रभा... said...

bahut hi utkrisht vichaaron ka samanvay hai......waah

Chandan Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर रचना शमां दीदी । उनको नमन ।

दिगम्बर नासवा said...

bahoot khoob .. aaj ke sandarbh mein is rachna ka mahatv aur bhi badh jaata hai ..... kamaal ka likha hai ...

Vipin Behari Goyal said...

bahut josh hai isme...badhai

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

ये बात इन्साफ को मंज़ूर नही,
दिखलाओ उम्मीदे रौशनी,
महात्मा जगतने कहा जिसे,
वैसा फिर हुआ कोई?
कोई नही, कोई नही !!
ना लूटो.

bahut hi sahi kaha hai aapne...........


itna achcha khyaal kaise le aatin hain aap?

वन्दना अवस्थी दुबे said...

ख़तावार और वो भी गांधी?
तुम काबिले मुंसिफी नही,
झाँको इस ओर सलाखों की
बंद हुआ जो पीछे इनके,
वो हर इंसां गुनाहगार नही,
वाह! बहुत खूब कविता.

अविनाश वाचस्पति said...

जंगे आजादी कैसी
भी
लड़े अब वो गांधी
कहीं नहीं मिलेगा।

Vinashaay sharma said...

अच्छी काव्य रचना ।
दे दी आजादी,हमें बिना खड़ग ढाल
साबर मती के सन्त तुझे सलाम

lifes' like this.. never fair never right said...

आपकी कलम में वो बात है जो सोचने पर मजबूर कर दे | बहुत अच्छा लिखा है |


Rishi
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