१) मीलों फासले..
मीलों तय किए फासले
दिन में पैरों ने हमारे,
शाम हुई तो देखा,
हम वहीँ खड़े थे,
वो मील का पत्थर,
सना हुआ धूलसे,
छुपा था चन्द झाडियों में,
जहाँसे भोर भये,
हम चल पड़े थे,
हम क्यों थक गए?
क्या हुआ जो,
क़दम रुक गए?
२) खुशी या दर्द?
गर मै हूँ खुशी किसीकी,
मत छीनना मुझे कि,
छीन के मिल सकती नही...
हूँ मै दर्द तुम्हारा,
मत लौटाना मुझे,कि,
मै लौट सकती नही ...
३) रात या सेहर?
सेहर की उम्मीदें,
शाम को ढल गयीं,
रात बेखाब,सूनी,
गुज़र ने लगीं,
ना हो सेहर
तो हो बेहतर
अब रातें बेहतर
लगने लगीं...
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17 comments:
गर मै हूँ खुशी किसीकी,
मत छीनना मुझे कि,
छीन के मिल नही सकती |
बेहतरीन । बड़ा मारक है । आभार ।
teenon rachna bahut khoob.
यही सच है हम चलते है फिर वही लौटने के लिये.
और फिर सेहर की उम्मीद बेशक ढ्ल जाये पर हकीकत है कि सेहर होगी ही.
बहुत खूब
teeno kavitaane bhut pyari hain...chhote chhote ahsaas par baat bahut badi...mubark....amarjeet kaunke
तीनो क्षणिकाएँ अच्छी लगी । शुभकामनायें ।
bilkul khubsoorat se ehasas jo dil ko chhoo gaye........
kshanikayen to teeno achhi hain ,par yah dil ko chhu gai-
गर मै हूँ खुशी किसीकी,
मत छीनना मुझे कि,
छीन के मिल नही सकती..
हूँ मै दर्द तुम्हारा,
मत लौटाना मुझे,कि,
मै लौट नही सकती.
TEENO JABARDAST KAJAWAAB ... HAKEEKAT KE BAHOOT KAREEB SE LIKHI HAIN YE RACHNAAYE .....
शमा जी,
कमाल का साहित्य लिख रहीं है, आज कल आप,
बधाई स्वीकार करिये.
इतना हि समय है शायद बहुत जल्दी Blog की दुनियां में वापस आऊं.Take care God bless!
बहुत सुंदर भावों से भरी ,छोटी पर बड़ी बात कहती कवितायें ,शुभकामनायें
Leoji,
Aapka blog nahee khul raha..! Mai aapke naam pe click kartee hun,to merahi comment box khul raha hai!
Shukriya aur kashama dono sweekar karen..jaldi me hun...asptal ek surgery ke liye admit hone jana hai!
bahut hi shaandar .
शमा जी!
आपकी तीनें क्षणिकाएँ तो स्वादिष्ट गोलगप्पे की मानिन्द हैं।
बधाई।
I hope you are on speedy path of recovery now, I am sure Eid would have brought good health with it.
Take care, god bless.
Bahut khubsurat kshanikaayen hain shama ji!badhai aapko
खुशी या दर्द
रहे सदा सर्द
गर्मी में भी
छिपी न गर्द
वे ही रातें बेहतर रातें जिन रातों की भोर नहीं
साथ कोई चलता रहता हो मन का एक चितचोर कहीं .
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