क्या कह दूँ के तुम्हें करार आ जाये,
मेरी बातों पे तुम्हें ऎतबार आ जाये॥
दिल इस दुनिया से क्यूँ नहीं भरता,
उनकी बेरूखी पे भी प्यार आ जाये।
दर्द इतने मैं कहाँ छुपाऊँ भला,
मौत से कहो एक बार आ जाये।
वीरानियाँ भी तो तेरा हिस्सा हैं,
या खुदा इधर भी बहार आ जाये।
6 comments:
क्या कह दूँ के तुम्हें करार आ जाये,
मेरी बातों पे तुम्हें ऎतबार आ जाये॥
इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई ।
बहुत खूब ..सुन्दर गज़ल
bahut sundar likha hai aapen.....man ko chhoo gayee
dard itne main kahan chupaaon bhala
maut se kaho ik baar aa jaye
beautiful selection of words!!
dard itne main kahan chupaaon bhala
maut se kaho ik baar aa jaye
beautiful selection of words!!
Phir ek baar gazab kee gazal kahee hai! Baar baar padhene kaa man karta hai!
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