आज़ादी मिल गई हमको,
चलो सडको पे थूकें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो ट्रैनों को फ़ूकें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो लोगों को कुचलें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो पत्थर उछालें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो घर को जला लें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो घोटले कर लें!
आज़ादी मिल गई हमको,
तिज़ोरी नोटों से भर लें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो पेडों को काटें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो भूखों को डांटें!
आज़ादी मिल गई हमको,
चलो सूबों को बांटें!
गर भर गया दिल जश्न से तो चलो,
इतना कर लो,
शहीदों की याद में सजदा कर लो!
न कभी वो करना जो,
आज़ादी को शर्मसार करे,
खुद का सर झुके और
शहीदों की कुर्बानी को बेकार करे!
10 comments:
न कभी वो करना जो,
आज़ादी को शर्मसार करे,
खुद का सर झुके और
शहीदों की कुर्बानी को बेकार करे!
बहुत सुन्दर कविता. शुभकामनाएं.
बहुत अच्छी प्रस्तुति ..झकझोरती हुई
गर भर गया दिल जश्न से तो चलो,
इतना कर लो,
शहीदों की याद में सजदा कर लो!
न कभी वो करना जो,
आज़ादी को शर्मसार करे,
खुद का सर झुके और
शहीदों की कुर्बानी को बेकार करे!
स्वतंत्रता और स्वछंदता के अंतर को बहुत खूबसूरती से पेश किया है आपने.
गर भर गया दिल जश्न से तो चलो,
इतना कर लो,
शहीदों की याद में सजदा कर लो!
Wah! Wah! Wah!Behad zordaar rachna!
Kayi baar maine sadak pe thoonkte logon ko tok ke poochha hai: Kya apni maa pe thoonka jata hai? Jis zammen pe shaheed apna khoon baha dete hain,us dharti maa ko aisa apmanit kiya jata hai?
"Jis zammen pe shaheed apna khoon baha dete hain,us dharti maa ko aisa apmanit kiya jata hai?"
शमा जी! आपके इस जज़्बे को एक सैनिक का सलाम।
सरल शब्दों और साफ़ दिल से बयान की गयी
आपकी कई कविताये और लेख पडें । विनय जी
के ब्लाग पर आपकी टिप्पणी देखकर वहीं से हिट करके
आपके ब्लाग पर पहली बार आया हूं । मैं विनय जी को
इसीलिये पसन्द करता हूं कि वो सरल अन्दाज में बात
कहतें हैं । वही चीज मुझे आपके लेखन में । आपके भावों में भी
मिली । मेरी निगाहों में स्टायलिश लेखन की बजाय मधुर भाव
महत्वपूर्ण हैं । आप निस्वार्थ समाज सेवा का भाव भी रखती हैं ।
ये जानकर मुझे बेहद खुशी हुयी । नाम का प्रभाव व्यक्ति के जीवन
पर होता ही है और इसीलिये भगवान ने आपका नाम शमा रखा है ।
अंत में । बह्त बहुत धन्यबाद शमा जी ।
satguru-satykikhoj.blogspot.com
soo beautiful!
well said!
एक कडवा सच ,मगर सच तो सच ही है ,काश इस दर्द को हम सभी अनुभव कर सकें ।
एक कडवा सच ,मगर सच तो सच ही है ,काश इस दर्द को हम सभी अनुभव कर सकें ।
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