Friday, June 25, 2010

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी को उसकी कहानी कहने देते हैं,
चलो हम अपने शिकवे रहने देते है।

सच और झूंठ का फ़र्क तो फ़िर होगा,
दोस्तों को उनकी बात कहने देते है।

बुज़ुर्गों पे चलो इतना अहसान करें 
बुढापे में उन्हे पुराने घर में रहने देते है।

दर्द में भी खुशी तलाश तो ली थी,
ख्याब मुझको कहां खुश रहने देते है?

13 comments:

अर्चना तिवारी said...

बुज़ुर्गों पे चलो इतना अहसान करें
बुढापे में उन्हे पुराने घर में रहने देते है।....बहुत खूब

माधव( Madhav) said...

reality song

shama said...

ज़िन्दगी को उसकी कहानी कहने देते हैं,
चलो हम अपने शिकवे रहने देते है।
Bahut,bahut khoobsoorat khayal!

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

दर्द में भी खुशी तलाश तो ली थी,
ख्याब मुझको कहां खुश रहने देते है?

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ !

Dr. Tripat Mehta said...

wah wah! kya baat hai!

Pushpendra Singh "Pushp" said...

सुन्दर और मधुर रचना
आभार

वीरेंद्र सिंह said...

Bahut badiya sir ji..... aise hi likhte raho.

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

आप लोगो का दिल से शुक्रिया,होसलाअफ़ज़ाई के लिये!

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

सच और झूंठ का फ़र्क तो फ़िर होगा,
दोस्तों को उनकी बात कहने देते है।

बुज़ुर्गों पे चलो इतना अहसान करें
बुढापे में उन्हे पुराने घर में रहने देते है।

बहुत अच्छे हैं दोनों शेर. मुबारकबाद

Anamikaghatak said...

bahut sundar likhaa hai aapne

Madhu chaurasia, journalist said...

अच्छी कविता...वाह

शारदा अरोरा said...

चलो कुछ यूँ कर लें ...थोड़ी खुशफहमियाँ मुट्ठी में भर लें ...

सुन्दर लिखा है आपने

abhinav pandey said...

मेरे द्वारा एक नया लेख लिखा गया है .... मैं यहाँ नया हूँ ... चिटठा जगत में.... तो एक और बार मेरी कृति को पढ़ाने के लिए दुसरो के ब्लॉग का सहारा ले रहा हूँ ...हो सके तो माफ़ कीजियेगा .... एवं आपकी आलोचनात्मक टिप्पणियों से मेरे लेखन में सुधार अवश्य आयेगा इस आशा से ....
सुनहरी यादें