इम्तेहान मत लीजे,
हम क्या करे गर,
अमृतके नामसे हमें
प्यालेमे ज़हर दीजे !
अब तो सुनतें हैं,
पानीभी बूँदभर चखिए,
गर जियें तो और पीजे !
हैरत ये है,मौत चाही,
ज़हर पीके, नही मिली,
ज़हर में मिलावट मिले
तो बतायें, क्या कीजे?
तो सुना, मरना हैही,
तो बूँदभर अमृत पीजे,
जीना चाहो , ज़हर पीजे!
7 comments:
वाह्…………………बहुत ही गहरी और सही बात कह दी……………अति सुन्दर्।
बहुत खूबसूरती से कही अपनी बात
मरना चाहो अमृत पीजो
जीना चाहो जहर पीजो ...
यही है दुनिया की उलटबांसी ...यही तो होता है ...
जहर से बच जाने वाले अमृत से मर जाते हैं ..!!
वाह!विडम्बनाओं का सच्चा चित्रण!
वाह वाह वाह वाह वाह वाह... ∞
Very good.
Very good.
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