ज़िन्दगी को उसकी कहानी कहने देते हैं,
चलो हम अपने शिकवे रहने देते है।
सच और झूंठ का फ़र्क तो फ़िर होगा,
दोस्तों को उनकी बात कहने देते है।
बुज़ुर्गों पे चलो इतना अहसान करें
बुढापे में उन्हे पुराने घर में रहने देते है।
दर्द में भी खुशी तलाश तो ली थी,
ख्याब मुझको कहां खुश रहने देते है?
13 comments:
बुज़ुर्गों पे चलो इतना अहसान करें
बुढापे में उन्हे पुराने घर में रहने देते है।....बहुत खूब
reality song
ज़िन्दगी को उसकी कहानी कहने देते हैं,
चलो हम अपने शिकवे रहने देते है।
Bahut,bahut khoobsoorat khayal!
दर्द में भी खुशी तलाश तो ली थी,
ख्याब मुझको कहां खुश रहने देते है?
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ !
wah wah! kya baat hai!
सुन्दर और मधुर रचना
आभार
Bahut badiya sir ji..... aise hi likhte raho.
आप लोगो का दिल से शुक्रिया,होसलाअफ़ज़ाई के लिये!
सच और झूंठ का फ़र्क तो फ़िर होगा,
दोस्तों को उनकी बात कहने देते है।
बुज़ुर्गों पे चलो इतना अहसान करें
बुढापे में उन्हे पुराने घर में रहने देते है।
बहुत अच्छे हैं दोनों शेर. मुबारकबाद
bahut sundar likhaa hai aapne
अच्छी कविता...वाह
चलो कुछ यूँ कर लें ...थोड़ी खुशफहमियाँ मुट्ठी में भर लें ...
सुन्दर लिखा है आपने
मेरे द्वारा एक नया लेख लिखा गया है .... मैं यहाँ नया हूँ ... चिटठा जगत में.... तो एक और बार मेरी कृति को पढ़ाने के लिए दुसरो के ब्लॉग का सहारा ले रहा हूँ ...हो सके तो माफ़ कीजियेगा .... एवं आपकी आलोचनात्मक टिप्पणियों से मेरे लेखन में सुधार अवश्य आयेगा इस आशा से ....
सुनहरी यादें
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