कहाँ हो?खो गए हो?
पश्चिमा अपने आसमाके
लिए रंग बिखेरती देखो,
देखो, नदियामे भरे
सारे रंग आसमाँ के,
किनारेपे रुकी हूँ कबसे,
चुनर बेरंग है कबसे,
उन्डेलो भरके गागर मुझपे!
भीगने दो तन भी मन भी
भाग लू आँचल छुडाके,
तो खींचो पीछेसे आके!
होती है रात, होने दो,
आँखें मूँदके मेरी, पूछो,
कौन हूँ ?पहचानो तो !
जानती हूँ , ख़ुद से बातें
कर रही हूँ , इंतज़ार मे,
खेल खेलती हूँ ख़ुद से,
हर परछायी लगे है,
इस तरफ आ रही हो जैसे,
घूमेगी नही राह इस ओरसे,
अब कभी भी तुम्हारी
मानती नही हूँ,जान के भी..
हो गयी हूँ पागल-सी,
कहते सब पडोसी...
चुपके से आओ ना,
मुझ संग खेलो होली ...
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11 comments:
मोहतरमा शमा साहिबा, आदाब
कुछ अलग अंदाज में..
खूबसूरत अहसास....
मुबारकबाद...
सभी को होली की शुभकामनाएं.
वाह,सुन्दर रंग सजे हैं रचना में होली के!
आप को होली की शुभकामानाएं!
sunder bhavpurn holi rachna.
खूबसूरत ख्याल ....होली की शुभकामनायें
sundar bhav............HAPPY HOLI.
"विराम चिह्नों के शानदार उपयोग से कविता शानदार बन पड़ी है। होली की ढेर सारी शुभकामनाएँ......."
प्रणव सक्सैना
amitraghat.blogspot.com
is sundar rachna ke saath holi aapko bahut bahut mubarak
ACHHEE RACHNA .. LAJAWAAB KHWAAB BUNE HAIN HOLI KE .. AAPKO AUR SAMAST PARIWAAR KO HOLI MUBARAK ...
शमाजी
बड़े दिनों के बाद मिली फुर्सत तो मुखतिब हुआ हूँ
कई दिनों से आपकी खैरो खबर भी नहीं मिली
रंग की उडान अच्छी है
खुलते है आसमान कई गर दम परों में हो
आप भी कुछ लाजवाब ब्लागरों में हो
रंग लेकर के आई है तुम्हारे द्वार पर टोली
उमंगें ले हवाओं में खड़ी है सामने होली
निकलो बाहं फैलाये अंक में प्रीत को भर लो
हारने दिल खड़े है हम जीत को आज तुम वर लो
मधुर उल्लास की थिरकन में आके शामिल हो जाओ
लिए शुभ कामना आयी है देखो द्वार पर होली
कविता बहुत सुन्दर है। हम तो आ गये होली खेलने। बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
aapki har kavita maine padhi hai ...har kavita bahut lambi hai..kyun hai itne shabd aur har sabhd me itne dard kitna sochti hain aap...kya hum kuchh kar sakte hain..hum yahi chahte hain ki kisi tarah is dard ko door kiya jaye..to aisa kya kiya jaye...patthar se phool jharte dekha hai magar aansuon se nahi....
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