किसीके लिए हक़ीक़त नही,
तो ना सही!
हूँ मेरे माज़ीकी परछाई,
चलो, वैसाही सही!
जब ज़मानेने मुझे
क़ैद करना चाहा,
मै बन गयी एक साया,
पहचान मुकम्मल मेरी
कोई नही तो ना सही!
किसीके लिए...
रंग मेरे कई,
रूप बदले कई,
किसीकी हूँ सहेली,
तो किसीके लिए पहेली,
मुट्ठी मे बंद करले,
मै वो खुशबू नही,
किसीके लिए...
जिस राह्पे हूँ निकली,
वो निरामय हो मेरी,
तमन्ना है बस इतनीही,
गर हो हासिल मुझे,
बस उतनीही ज़िंदगी...
किसीके लिए...
जलाऊँ अपने हाथोंसे ,
एक शमा झिलमिलाती,
झिलमिलाये जिससे सिर्फ़,
एक आँगन, एकही ज़िंदगी,
रुके एक किरन उम्मीद्की,
कुछ देरके लियेही सही,
किसीके लिए..
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12 comments:
हर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
रंग मेरे कई,
रूप बदले कई,
किसीकी हूँ सहेली,
तो किसीके लिए पहेली,
मुट्ठी मे बंद करले,
मै वो खुशबू नही,
बहुत ही सुन्दर कविता. दी, हमेशा कहतीं हैं कि कविता नहीं लिखती और फिर सुन्दर सी कविता पोस्ट कर देतीं हैं.:)
sunder bhavnatmak abhivyakti.
जलाऊँ अपने हाथोंसे ,
एक शमा झिलमिलाती,
झिलमिलाये जिससे सिर्फ़,
एक आँगन, एकही ज़िंदगी,
रुके एक किरन उम्मीद्की,
कुछ देरके लियेही सही,
किसीके लिए..
bahut pyaare ehsaas....khoobsurat rachna...
शमा साहिबा, आदाब
दिल की गहराईयों से निकले अलफ़ाज़
जो नज़्म की शक्ल में ढल गये.
Great,nice reading!
किसीके लिए हक़ीक़त नही,
तो ना सही!
हूँ मेरे माज़ीकी परछाई...
गुज़रे वक़्त की परछाई में झाँकना लाजवाब शब्द लिखें हैं ...... .
जलाऊँ अपने हाथोंसे ,
एक शमा झिलमिलाती,
झिलमिलाये जिससे सिर्फ़,
एक आँगन, एकही ज़िंदगी,
रुके एक किरन उम्मीद्की,
कुछ देरके लियेही सही,
किसीके लिए..
bahut sundar....... umeed par duniya kaayam hai... jab tak sans tab tak aas...
Bahut badhai
रंग मेरे कई,
रूप बदले कई,
किसीकी हूँ सहेली,
तो किसीके लिए पहेली,
मुट्ठी मे बंद करले,
मै वो खुशबू नही,
किसीके लिए...in panktiyon ka jawab nahi ,bahut sundar likhi hai
बहुत अच्छी प्रस्तुती एक अच्छे भाव के साथ बधाई स्वीकारें
बहुत खबसूरत रचना
आभार .....................
totally awsum Kavita ji!!!
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