अच्छी भावनात्मक दर्द भरी प्रस्तुती ...
मर गया हूं ये यकीं तुमको नहीं है, खुदकी मय्यत को कांधा देने चला हूं!Jaise apna hi bojh khud apne khandhon pe dhote hue ham jee rahe hon..behtareen rachana!
दर्द भरी प्रस्तुती ...
itnaa rosh ki ghazal jal rahi hai---चाँद, बादल और शामगुलाबी कोंपलेंThe Vinay Prajapati
मर गया हूं ये यकीं तुमको नहीं है,खुदकी मय्यत को कांधा देने चला हूं!वाह ! क्या बात है !
कांटे देने चले तो दर्द तो होगा ही ...दर्द भरी रचना ..!
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6 comments:
अच्छी भावनात्मक दर्द भरी प्रस्तुती ...
मर गया हूं ये यकीं तुमको नहीं है,
खुदकी मय्यत को कांधा देने चला हूं!
Jaise apna hi bojh khud apne khandhon pe dhote hue ham jee rahe hon..behtareen rachana!
दर्द भरी प्रस्तुती ...
itnaa rosh ki ghazal jal rahi hai
---
चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें
The Vinay Prajapati
मर गया हूं ये यकीं तुमको नहीं है,
खुदकी मय्यत को कांधा देने चला हूं!
वाह ! क्या बात है !
कांटे देने चले तो दर्द तो होगा ही ...
दर्द भरी रचना ..!
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