चमन में गुलों का नसीब होता है,
जंगली फ़ूल पे कब तितिलियां आतीं है।
कातिल अदा आपकी निराली है,
हमें कहां ये शोखियां आतीं हैं।
एक अरसे से मोहब्बत खोजता हूं,
अब कहां तोतली बोलियां आतीं है!
गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।
घर मेरा खास था, सो बरर्बाद हुया,
हर घर पे कहां बिजलियां आतीं हैं?
Will also be available soon on www.sachmein.blogspot.com
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13 comments:
शानदार पोस्ट
बढ़िया ग़ज़ल..
जंगली फ़ूल पे कब तितिलियां आतीं है।
bahut khoob.
पॉल बाबा का रहस्य आप भी जानें
http://sudhirraghav.blogspot.com/
बहुत सुन्दर ...
बहुत उम्दा!!
गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।
-बहुत खूब!
गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।
घर मेरा खास था, सो बरर्बाद हुया,
हर घर पे कहां बिजलियां आतीं हैं?
वाह ...!
गद्दार हमसाये पे न भरोसा करना,
प्यार के बदले में, गोलियां आतीं हैं।
अच्छे शेरों में ये खास तौर पर पसंद आया
घर मेरा खास था, सो बरर्बाद हुया,
हर घर पे कहां बिजलियां आतीं हैं?
Wah! Kya khyal hai! Gaddar Hamsaya....! Yah bhi bahut anootha khayal hai!
Sochti rah jati hun,ki,yah sab kaise likh jate hain aap?
एक अरसे से मोहब्बत खोजता हूं,
अब कहां तोतली बोलियां आतीं है!
बहुत खूब ... आज कल वो भोली भाली बाते कहाँ ... लाजवाब शेर हैं सब ...
अच्छी रचना है... अनूठे बिम्ब-प्रतिबिम्ब हैं...
very nice...
heart touching....
बहुत ख़ूब
एक अरसे से मोहब्बत खोजता हूं,
अब कहां तोतली बोलियां आतीं है!
lajabab ......gajal
aap ko dil se
badhaiyan................
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