अज़ीब शक्स है वो गुलो से बात करता है,
अपनी ज़ुरूफ़ से भरे दिन को रात करता है.
वो जो कहता है भोली प्यार की बातें,
खामोश हो के खुदा भी समात करता है,
मां बन के कभी उसके प्यार का जादू
एक जर्रे: को भी काइनात करता है,
मेरे प्यार को वो भला कैसे जानेगा?
जब देखो मूंह बनाके बात करता है!
22 comments:
मां बन के कभी उसके प्यार का जादू
एक जर्रे: को काइनात करता है,
अनमोल पंक्तियां ।
खूबसूरत प्रयास
सुंदर रचना ।
।
->सुप्रसिद्ध साहित्यकार और ब्लागर गिरीश पंकज जी का साक्षात्कार पढने के लिऐ यहाँ क्लिक करेँ
बढिया!
Jandunia said...
खूबसूरत प्रयास
July 3, 2010 11:23 AM
Udan Tashtari said...
KAVITA ब्लॉग क्या चिट्ठाजगत या एग्रीगेटर पर नहीं है क्या?
पूछा इसलिए कि आप यहाँ से लिंक दे रहे हैं.
July 3, 2010 7:05 PM
माननीय समीर जी,
Main showroom का माल branch शौप से बेचने का प्रयास कर रहा था!!!
इन शानदार रचनाओं को पढवाने का शुक्रिया।
इन शानदार रचनाओं को पढवाने का शुक्रिया।
खूबसूरत गज़ल.
वो जो कहता है भोली प्यार की बातें,
खामोश हो के खुदा भी समात करता
Bahut hee khoobsoorat khayal hai..!
मां बन के कभी उसके प्यार का जादू
एक जर्रे: को काइनात करता है,
सुभान अल्ला .. कितनी प्यारी ग़ज़ल है ...
सच में माँ के प्यार में वो शक्ति होती ही जो जर्रे को कायनत कर सके ...
मां बन के कभी उसके प्यार का जादू
एक जर्रे: को काइनात करता है,
सुभान अल्ला .. कितनी प्यारी ग़ज़ल है ...
सच में माँ के प्यार में वो शक्ति होती ही जो जर्रे को कायनत कर सके ...
अच्छे शेर हुए हैं...
अज़ीब शख्स है वो गुलो से बात करता है,
अपनी ज़ुरूफ़ से भरे दिन को रात करता है.
मतला शानदार.
मां बन के कभी उसके प्यार का जादू
एक जर्रे को काइनात करता है.
हासिल-ग़ज़ल शेर.
आप लोगो का अहसानमंद हूं, ’आम लफ़्ज़ों’ को "गज़ल" बना देते है, आप लोग अपनी मोहबब्त और तारीफ़ से!
Mast...padhkar maza aa gaya.
Mast...padhkar maza aa gaya.
Aaj dobara aapki chand rachnayen padhin....aap apni gudime se kya gazab ratn chunte hain...'kavita'blog shringarit inheen se hai...
Thanks!
वर्तमान प्रस्तुति 'गुलो से बात' का यह शेर बहुत अच्छा है
मां बन के कभी उसके प्यार का जादू
एक जरेर्रू को काइनात करता है,
और पुरानी प्रस्तुतियों की सैर भी खुशनुमा है....
'नसीब'
जिन्दगी अच्छी है,
पर अजीब है न?
जो बुरा है,
कितना लजीज है न?
गुनाह कर के भी वो सुकून से है,
अपना अपना नसीब है न?
दर्द पास आयेगा कैसे,
तू तो मेरे करीब है न?
मैं इसकी मासूम सी पूछ ‘‘है न’’ पर फिदा हूं ..शमा जी क्या कहने..है न कहने का मासूम अंदाज यानी ‘पूछ’ वाकई असरदार है।
& this
"जिन्दगी"
जिन्दगी को उसकी कहानी कहने देते हैं,
चलो हम अपने शिकवे रहने देते है।
बुजुर्गों पे चलो इतना अहसान करें
बुढापे में उन्हे पुराने घर में रहने देते है।
माँ बनके उसके प्यार का जादू ...जर्रे को कायनात करता है ..
हर माँ खुदा ही है और उसकी गोद में खुदाई ...गोद से बाहर आते ही दुनिया के रंग बेरंग उसे क्या से काया बना देते हैं ...क्यूँ ना उम्र भर माँ की गोद का आसरा ही रहे ...
मेरे प्यार को वो भला कैसे जानेगा?
जब देखो मूंह बनाके बात करता है!
:):)
आपके शे'रों में एक दर्द होता है जो हलके-फुल्के शब्दों में भी चुभता है दिल को...
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