Thursday, February 26, 2009

वो घर बुलाता है .......

Friday, June 22, 2007

वो घर बुलाता है...

जब,जब पुरानी तस्वीरे
कुछ यांदें ताज़ा करती हैं ,
हंसते हसतेंभी मेरी
आँखें भर आती हैं!
वो गांव निगाहोंमे बसता है
फिर सबकुछ ओझल होता है,
घर बचपन का मुझे बुलाता है,
जिसका पिछला दरवाज़ा
खालिहानोमें खुलता था ,
हमेशा खुलाही रहता था
वो पेड नीमका आंगन मे,
जिसपे झूला पड़ता था!
सपनोंमे शहज़ादी आती थी ,
माँ जो कहानी सुनाती थी!
वो घर जो अब "वो घर"नही,
अब भी ख्वाबोमे आता है
बिलकुल वैसाही दिखता है,
जैसाकी वो अब नही!
लकड़ी का चूल्हाभी दिखता है,
दिलसे धुआँसा उठता है,
चूल्हातो ठंडा पड़ गया
सीना धीरे धीरे सुलगता है,
बरसती बदरीको मै
बंद खिड्कीसे देखती हूँ
भीगनेसे बचती हूँ
"भिगो मत"कहेनेवाले
कोयीभी मेरे पास नही
तो भीगनेभी मज़ाभी नही।
जब दिन अँधेरे होते हैं
मै रौशन दान जलाती हूँ
अँधेरेसे कतराती हूँ
पास मेरे वो गोदी नही
जहाँ मै सिर छुपा लूँ
वो हाथभी पास नही
जो बालोंपे फिरता था
डरको दूर भगाता था।
खुशबू अब भी है आती
जब पुराने कपड़ों मे पडी
सूखी मोलश्री मिल जाती
हर सूनीसी दोपहरमे
मेरी संसोंमें भर जाती,
कितना याद दिला जाती ,
नन्ही लडकी सामने आती
जिसे आरज़ू थी बडे होनेके
जब दिन छोटे लगते थे,
जब परछाई लम्बी होती थी,
यें यादे कैसी होती?
कडी धूपमे ताजी रहती है !
ये कैसे नही सूखती?
ये कैसे नही मुरझाती ?
ये क्या चमत्कार है?
पर ठीक ही है जोभी है,
चाहे वो रुला जाती है,
दिलको सुकूनभी पहुँचाती,
बांते पुरानी होकेभी,
लगती हैं कलहीकी
जब पीली तसवीरें,
मेरे सीनेसे चिपकती हैं,
जब होठोंपे मुस्कान खिलती है
जब आँखें रिमझिम झरती हैं
जो खो गया ढूंढें नही मिलेगा,
बात पतेकी मुझहीसे कहती हैं!

कृपया किसीभी लेखन का अनुकरण ना करे!
लेखिका द्वारा नम्र निवेदन।

2 comments:

Anonymous said...

जो खो गया ढूंढें नही मिलेगा

marmsparshi chitran
bhavnaoN ka ataah gahra sagar.

..
aapne jo shabd likhe hai meri rachnaoN par vo ta_um'r sahejne ki chiij hai,
mai apni sari rachnaoo ka poorn swamitv aapko deta hun ni:sankoch aap jo chahe kareN. ye meri khushkismatii hogi kahin kisi roj mere shabd mujhse achanak takra jaye.

khaksaar ki zarra_navazii ka shuk'rguzaar rahungaa.aapki khushi ki mangal kaamna karta hun.

'sammu' said...

KYOON KHOYEE HAI KAL KEE YADON ME VO KAL TO HAI KABKA BEET CHUKA '
DAMAN PE SUNAHREE YADON KE BAS KOYEE DHOOMIL GEET CHUPA .
SUN AAJ KEE RIMJHIM AAWAJEN CHAL BHEEG LEN THODA PANEE ME .
BALON KO TIRE SAHLANE KO EK HAATH HAI GODEE ME MACHLA .
MEHSOOS TO KAR KHUSBOO HAI VAHEE FOOLON KO SAMETE DAMAN ME
BETAB BAHUT HAI MILNE KO TUJHSE HEE TUMHARE AANGAN ME.