Thursday, February 26, 2009

पहलेसे उजाले....

Monday, June 4, 2007

पहलेसे उजाले...

छोड़ दिया देखना कबसे
अपना आईना हमने!
बड़ा बेदर्द हो गया है,
पलट के पूछता है हमसे
कौन हो,हो कौन तुम?
पहचाना नही तुम्हे!
जो खो चुकी हूँ मैं
वही ढूंढता है मुझमे !
कहाँसे लाऊँ पहलेसे उजाले
बुझे हुए चेहरेपे अपने?
आया था कोई चाँद बनके
चाँदनी फैली थी मनमे
जब गया तो घरसे मेरे
ले गया सूरज साथ अपने!

निवेदन:कृपया बिना इजाज़त किसीभी लेखन का अन्यत्र इस्तेमाल ना करे।

9 comments:

Anonymous said...

बहुत ही सुन्दर कविता है

--
गुलाबी कोंपलें

Anonymous said...

चाँदनी फैली थी मनमे
जब गया तो घरसे मेरे
ले गया सूरज साथ अपने!

faili thi chandni aur le gaya suraj.wah!

Anonymous said...

एक और ब्लॉग के साथ, आपका हिंदी ब्लॉगजगत में स्वागत है।

Anonymous said...

शानदार। तो आपका एक और ब्लॉग। मेरे ब्लॉग पर भी आएं।

Anonymous said...

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..आशा है , आप अपनी प्रतिभा से हिन्‍दी चिटठा जगत को समृद्ध करने और हिन्‍दी पाठको को ज्ञान बांटने के साथ साथ खुद भी सफलता प्राप्‍त करेंगे …..हमारी शुभकामनाएं आपके साथ हैं।

Anonymous said...

बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।

Anonymous said...

बड़ा बेदर्द हो गया है,
पलट के पूछता है हमसे
कौन हो,

bahut hi dardeelee rachana.

------------------------------------"VISHAL"

Anonymous said...

vaise to aaina insan me ahnkar kee beej bota hai. narayan narayan

'sammu' said...

AAYINE SE POOCH MAT VO KYA HAI EK DHOKHA MAHAJ
VO DIKHATA HAI TUJHE ULTA TUJHE MALOOM HAI ?

DEKHNA HAI DEKH APNE MAN ME THODA JHANK KAR
USKO HAI MALOOM SAB ASLEE VAHEE AAYEEN HAI !