थाली के बैगंन,
लौटे,
खाली हाथ,भानुमती के घर से,
बिन पैंदी के लोटे से मिलकर,
वहां ईंट के साथ रोडे भी थे,
और था एक पत्थर भी,
वो भी रास्ते का,
सब बोले अक्ल पर पत्थर पडे थे,
जो गये मिलने,पत्थर के सनम से,
वैसे भानुमती की भैंस,
अक्ल से थोडी बडी थी,
और बीन बजाने पर,
पगुराने के बजाय,
गुर्राती थी,
क्यों न करती ऐसा?
उसका चारा जो खा लिया गया था,
बैगन के पास दूसरा कोई चारा था भी नहीं,
वैसे तो दूसरी भैंस भी नहीं थी!
लेकिन करे क्या वो बेचारा,
लगा हुया है,तलाश में
भैंस मिल जाये या चारा,
बेचारा!
बीन सुन कर
नागनाथ और सांपनाथ दोनो प्रकट हुये!
उनको दूध पिलाने पर भी,
उगला सिर्फ़ ज़हर,
पर अच्छा हुआ के वो आस्तीन में घुस गये,
किसकी? आज तक पता नहीं!
क्यों कि बदलते रहते है वो आस्तीन,
मौका पाते ही!
आयाराम गयाराम की तरह।
भानुमती के पडोसी भी कमाल के,
जब तब पत्थर फ़ेकने के शौकीन,
जब कि उनके अपने घर हैं शीशे के!
सारे किरदार सच्चे है,
और मिल जायेंगे
किसी भी राजनीतिक समागम में
प्रतिबिम्ब में नहीं,
नितांत यर्थाथ में।
7 comments:
सारे किरदार सच्चे है,
और मिल जायेंगे
किसी भी राजनीतिक समागम में
प्रतिबिम्ब में नहीं,
नितांत यर्थाथ में...
वर्तमान राजनीति पर भीषण कटाक्ष ...!!
.... बम बम ... बम बम ....!!!
Wah ! Kya zabardast vyang hai...!
Aaj hee soch rahee thee,ki,aap bade dinon se 'kavita' par padhare nahi..aaj aapki rachna padh bada achha laga!
सारे किरदार सच्चे है,
और मिल जायेंगे
किसी भी राजनीतिक समागम में
प्रतिबिम्ब में नहीं,
नितांत यर्थाथ में।
कितनी बेबाक़ी से कहा गया सच...
sundar kataksh.
सारे किरदार सच्चे है,
और मिल जायेंगे
किसी भी राजनीतिक समागम में
प्रतिबिम्ब में नहीं,
नितांत यर्थाथ में।
बदलते इंसान .. बदलता समाज .. नया सा चित्रण है ...
थाली के बैगंन,भानुमती के घर से,बिन पैंदी के लोटे लौटे खाली हाथ,
वैसे भानुमती की भैंस,
अक्ल से थोडी बडी थी,
और बीन बजाने पर,
पगुराने के बजाय,
गुर्राती थी,
क्यों न करती ऐसा?
उसका चारा जो खा लिया गया था,
सारे किरदार सच्चे है,
और मिल जायेंगे
किसी भी राजनीतिक समागम में
प्रतिबिम्ब में नहीं,
नितांत यर्थाथ में।
Sunder chitran..
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