Wednesday, July 20, 2011

बता तो सही कौन है तू?


घुमड रहा है,
गुबार बन के कहीं,
अगर तू सच है तो,
ज़ुबाँ पे आता क्यों नही?

सच अगर है तो,
तो खुद को साबित कर,
झूंठ है तो,
बिखर जाता क्यों नहीं?

आईना है,तो,
मेरी शक्ल दिखा,
तसवीर है तो,
मुस्कुराता क्यों नहीं?

मेरा दिल है,
तो मेरी धडकन बन,
अश्क है,
तो बह जाता क्यों नहीं?

ख्याल है तो  कोई राग बन,
दर्द है तो फ़िर रुलाता,
क्यों नही?

बन्दा है तो,
कोई उम्मीद मत कर,
खुदा है तो,
नज़र आता क्यों नहीं?


बात तेरे और मेरे बीच की है,
चुप क्यों बैठा है?
बताता क्यों नहीं? 


12 comments:

shama said...

Nihayat khoobsoorat! Bahut dinon baad aapne likha hai 'kavita' pe! Welcome! Welcome!

Neeraj Kumar said...

बन्दा है तो,
कोई उम्मीद मत कर,
खुदा है तो,
नज़र आता क्यों नहीं?

क्या बात है?
जवाब नहीं इस रचना का...

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आईना है,तो,
मेरी शक्ल दिखा,
तसवीर है तो,
मुस्कुराता क्यों नहीं?

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..

दिगम्बर नासवा said...

बस ओःचान्ना ही मुश्किल होता है ... कभी कभी ये हमारा मैं ही होता है ... बहुत खूब ...

सागर said...

bhaut sunder abhivaykti....

!!अक्षय-मन!! said...

क्या कहूँ जितना कहूँ कम है मेरी समझ नहीं आता बस दिल में उतर गए ये शब्द...

Neelkamal Vaishnaw said...

नमस्कार....
बहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में पलकें बिछाए........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"

इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्

1- MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......

2- BINDAAS_BAATEN: रक्तदान ...... नीलकमल वैष्णव

3- http://neelkamal5545.blogspot.com

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

सच अगर है तो,
तो खुद को साबित कर,
झूंठ है तो,
बिखर जाता क्यों नहीं?

क्यूंकि आज के ज़माने में सच लंगड़ाता रहता है और झूठ सीना तान के चलता है सबके सामने ...

पूनम श्रीवास्तव said...

sir
WAH=wah
bahut bahut hi khoobsurat kavita .bar bar padhne ko man kar gaya isi liye ise do-teen baar padh gai
bahut hi behtreen post lagi aapki
hardik badhai
poonam

Asha Joglekar said...

ख्याल है तो कोई राग बन,
दर्द है तो फ़िर रुलाता,
क्यों नही?

बन्दा है तो,
कोई उम्मीद मत कर,
खुदा है तो,
नज़र आता क्यों नहीं?


बात तेरे और मेरे बीच की है,
चुप क्यों बैठा है?
बताता क्यों नहीं?



बहुत ही सुन्दर अलग सी कविता, अगर पीछे ना आती तो इससे वंचित रह जाती ।

Dr.NISHA MAHARANA said...

बहुत खूब.ख्याल है तो कोई राग बन.

अनुपमा पाठक said...

बहुत खूब!