Tuesday, July 7, 2009

क्यों इल्ज़ामे बेवफाई ?

अपनी उम्मीदें दफनाई
नींव तुम्हारे घरकी बनायी......

अपने लिए सपने कोई ,
कभी देखे नहीं ....

गर पलक झपकी भी,
पलकों ने झालर बुनी

ख्वाब आँखों के थे तुम्हारी......
मेरी तमन्ना कहाँ थी ?

गर पूरी नही हुई,
उसमे मेरी खता कहाँ थी?

क्यों इल्ज़ामे बेवफाई?
जब हर वफ़ा निभायी!...

मैं तो नींद गहरी ,
सोयी कभी? कभी नही!

दूर रहे हर आँधी,
ऐसी की निगेहबानी!

6 comments:

mark rai said...

very nice.....

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

सच बात है, हम बहुत सी बातो को नजरंदाज कर दूसरे में ही कमिया ढूंढते है,
अच्छी कविता है और अन्दर तक का दर्द उजागर करती है !

Vinay said...

लाजवाब

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नये प्रकार के ब्लैक होल की खोज संभावित

M VERMA said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

Prem said...

kya khoob likhti hain bhav man men uttar jaate hain badhai svikaar karen --prem

Neeraj Kumar said...

क्यों इल्ज़ामे बेवफाई?
जब हर वफ़ा निभायी!...



ईमानदरी से किया गया एक सवाल जिसका जवाब हम सभी ने देना है...