उम्र की नाप का पैमाना क्या है?
साल,
माथे या गालों की झुर्रियां,
सफ़ेद बालों की झलक,
मैं मानता नहीं,
उम्रदराज़ होने के लिये,
न तो सालों लम्बे सफ़र की ज़रूरत है,
और न अपने चेहरे पे वख्त की लकीरें उकेरने की,
उम्र तो वो मौसम है ज़िन्दगी का,
जो दबे पांव चला आता है,
अचानक कभी भी,
और सिखा जाता है,
सारे दांव पेंच ,दुनियादारी के,
आप मानते नहीं ,
चलो जाने दो,
अगली बार जब ट्रैफ़िक लाइट पर रुको,
तो कार के शीशे से बाहर देखना,
छै से दस साल की कई कम उम्र लडकियां ,
अपनी गोद में खुद से जरा ही कम बच्चे को लिये,
दिख जायेंगी,
उम्र नापने के सारे पैमाने,
तोड देने का दिल करेगा मेरे दोस्त!
और तब,
एक बार,
सिर्फ़ एक बार,
उन सब ’हेयर कलर’ और ’स्किन क्रीम’ के
नाम याद करने की कोशिश करना,
जो उम्र के निशान मिटा देने का दावा करते है,
उन में से एक भी,
उम्र के,
12 comments:
उफ़ ………कितना कटु सत्य कहा है।सुन्दर भावाव्यक्ति।
सूक्ष्म अवलोकन ... अच्छी प्रस्तुति
क्या सटीक बात कही है!
सच्ची कविता!
उम्र के निशान आंकड़ों से नहीं गिने जाते ...
एक क्षणिका लिखी थी मैंने भी ...
चेहरे पर लकीरें
उम्र के निशान नहीं
आंसूं हैं जो सूख गये
बिना पोंछे ही!
वाह ... बहुत प्रभावी उम्दा ... सच है उम्र अचानक ही आ जाती है सालों से अंतराल से कुछ नहीं होता ...
अगली बार जब ट्रैफ़िक लाइट पर रुको,
तो कार के शीशे से बाहर देखना,
छै से दस साल की कई कम उम्र लडकियां ,
अपनी गोद में खुद से जरा ही कम बच्चे को लिये,
दिख जायेंगी,
उम्र नापने के सारे पैमाने,
तोड देने का दिल करेगा मेरे दोस्त!
Kya baat kahee hai! Wah!
bilkul sach kaha aaapne ..
सच से रूबरू कराती रचना.
प्रभावशाली!!!
सही कहा आपने उम्र अनुभव से ही आंकी जाती है ।
उन में से एक भी,
उम्र के,
इन निशानों को नहीं मिटा सकतीं!
sach mein....
umr ko naapne ka paimana alag hi hota hai...
Ye najara dekha to sabne hoga kai kai baar ... lekin use shabdo me pirona ek badi kala hai ... jo aapne bakhubi nibhai hai ... dil ko bhigo dene vali panktiyo k liye aapka khoob khoob aabhar ....
Post a Comment